भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए आरएसएस और जमीयत उलेमा-ए-हिंद साथ करेंगे काम


RSS and Jamiat Ulema-e-Hind (JuH) have agreed to work together to promote brotherhood in the country

 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद (जेयूएच) ने देश में सद्भाव और आपसी समझौते को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करने पर सहमती बनी है.

शुक्रवार 30 जुलाई को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जेयूएच के प्रमुख मौलाना सयैद अर्शद मदनी से मुलाकात की थी. दोनों अपने-अपने समुदायों के बीच सौहार्द बनाने की योजना को औपचारिक रूप देने के लिए सहमत हुए हैं.

नाम ना बताने के शर्त पर मुलाकात के एक जानकार ने बताया कि संपर्क विभाग के प्रभारी और आरएसएस के नेता राम लाल को दोनों संगठनों को मंच साझा करने के तहत योजना बनाने को कहा गया है.

दोनों की मुलाकात करीब एक घंटे तक चली. कहा जा रहा है कि भागवत ने मदनी को आश्वासन दिलाया है कि भारतीय मुसलमानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. और संघ की विचारधारा उन्हें हिंदूओं से अलग समझने की नहीं है.

मुलाकात के जानकार ने बताया कि मदनी ने भागवत के सामने तीन मुद्दों को रखा है जिसे लेकर मुसलमान चिंतित हैं. मॉब लिंचिग, असम में एनआरसी सूची से जिन लोगों का नाम बाहर हुआ है और जो साधारण लोग हैं वे हुए हैं.

जानकार ने कहा,“मदनी ने भागवत से कहा कि वे सावरकर और गोलवरकर की विचारधारा से इत्तेफाक नहीं रखते हैं. और देश में जो इस वक्त डर और दुश्मनी का माहौल है वह चिंता का विषय है. इसपर भागवत ने कहा कि हमें भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए. हिंदुत्व का मतलब हिंदू और मुस्लिम का एकसाथ मिलकर रहना होता है.”

इस मुलाकात के बारे में जानने वाले एक दूसरे व्यक्ति ने बताया कि इस मुलाकात में राम जन्मभूमी और जम्मू-कश्मीर के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई है.

मदनी के एक सहयोगी ने कहा, “यह मुलाकात लगभग देढ़ साल पहले तय हुई थी. लेकिन आम चुनाव समेत कई अन्य कारणों से टल गई थी. आरएसएस के कार्यकर्ता सुनील देशपांडे ने शिक्षा के क्षेत्र में और सामाजिक कल्याण में जेयूएच के कामों को देखकर हमसे संपर्क किया.”

अगले हफ्ते राजस्थान के पुष्कर में समनवय बैठक होने वाली है. इस बैठक में 150 पदाधिकारी शामिल होंगे. साथ ही आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व भी शामिल होंगे.

आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने मदनी और भागवत के मुलाकात को लेकर कहा कि यह पहली बार नहीं है जब कोई मुस्लिम नेता संघ के साथ बातचीत में शामिल हुए हैं.

उन्होंने कहा, जब के सुदर्शन संघ के सरसंघचालक थे तो उन्होंने मुस्लिम और इसाई समुदाय के कई प्रमुखों से बातचीत की थी. वर्ष 2009 में उन्होंने शिया समुदाय के धर्मगुरु हामिद-उल-हसन से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में वंदे मातरम बोलने को लेकर विवाद हो गया था. कुछ वर्षों के बाद उन्होंने कल्ब-ए-सादिक से भी मुलाकात की थी. तब वे अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष थे.


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