भारत को बदनाम करने के लिए ‘लिंचिंग’ का इस्तेमाल ना करें: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ‘भीड़ हत्या’ (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है. इसलिए भारत को बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल कतई नहीं किया जाना चाहिए.
मोहन भागवत ने महाराष्ट्र के नागपुर शहर में विजयादशमी के मौके पर रेशमीबाग मैदान में ‘शस्त्र पूजा’ के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, “‘लिंचिग’ शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपें.”
भागवत ने कहा, “भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना पश्चिमी तरीका है. देश को बदनाम करने के लिए भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “संघ की अपने राष्ट्र की पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है. वह सुविचारित व अडिग है कि भारत हिंदुस्तान, हिंदू राष्ट्र है.”
भागवत ने कहा कि राष्ट्र के वैभव और शांति के लिये काम कर रहे सभी भारतीय ‘हिंदू’ हैं.
भागवत ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सराहना भी की.
उन्होंने कहा, “यह कदम अपनी पूर्णता तब प्राप्त कर लेगा जब 370 के प्रभाव में न हो सके न्याय कार्य सम्पन्न होंगे तथा उसी प्रभाव के कारण अब तक चलते आये अन्यायों की समाप्ति होगी.”
भागवत ने कहा, “बीते कुछ वर्षों में भारत की सोच की दिशा में एक परिवर्तन आया है. जिसे न चाहने वाले व्यक्ति दुनिया में भी हैं और भारत में भी, तथा निहित स्वार्थों के लिये ये शक्तियां भारत को दृढ़ और शक्ति संपन्न नहीं होने देना चाहतीं.”
देश की सुरक्षा पर संघ प्रमुख ने कहा, “सौभाग्य से हमारे देश के सुरक्षा सामर्थ्य की स्थिति, हमारी सेना की तैयारी, हमारे शासन की सुरक्षा नीति तथा हमारी अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कुशलता की स्थिति इस प्रकार की बनी है कि इस मामले में हम लोग सजग और आश्वस्त हैं.”
भागवत ने कहा, “भारत में लोकतंत्र कहीं बाहर से नहीं आया बल्कि यह व्यवस्था सदियों से यहां है.”
संघ प्रमुख ने देश की तटीय सीमाओं की सुरक्षा पर ज्यादा जोर दिए जाने की बात कही.
उन्होंने कहा, “हमारी स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है. केवल स्थल सीमापर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमापर (द्वीपों वाले टापुओं की) निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी. देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आयी है. उग्रवादियों के आत्मसमर्पण में भी वृद्धि हुई है.”
‘चंद्रयान-2’ अभियान के लिये वैज्ञानिकों की तारीफ करते हुए भागवत ने कहा, “हमारे वैज्ञानिकों ने अब तक चंद्रमा के अनछुए प्रदेश, उसके दक्षिण ध्रुव पर अपना चंद्रयान ‘विक्रम’ उतारा. यद्यपि अपेक्षा के अनुरूप पूर्ण सफलता ना मिली, परंतु पहले ही प्रयास में इतना कुछ कर पाना, यह भी सारी दुनिया को अबतक साध्य न हुई एक बात थी.”
भागवत ने कहा, “समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए. समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता और सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति, यह आज की स्थिति में नितांत आवश्यक बात है.”
दशहरे का त्यौहार सरसंघचालकों के लिए काफी मायने रखता है क्योंकि इसी दिन 1925 में संघ की स्थापना हुई थी.
इस वार्षिक समारोह में एचसीएल के संस्थापक शिव नादर मुख्य अतिथि थे.
नाडर ने कहा कि निजी क्षेत्र, नागरिक और गैर सरकारी संगठन चुनौतियों से निपटने के लिए सामने आएं.
उन्होंने कहा, “अकेले सरकार देश को अगले स्तर तक नहीं ले जा सकती है, इसके लिए सभी पक्षकारों की बराबर भागीदारी की जरूरत है.”
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जनरल (सेवानिवृत्त) वी. के. सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी इस सामारोह में मौजूद थे.