RTI से हुआ खुलासा: आम चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में हुआ है अथाह पैसे का इस्तेमाल
इस आम चुनाव में पश्चिम बंगाल कई वजहों से खासी चर्चा में रहा. चाहे वो बीजेपी और टीमएमसी के बीच राजनीतिक खींचतान को लेकर हो, या फिर दोनों ओर से हो रही हिंसा के लिए. लेकिन अब पश्चिम बंगाल को लेकर एक और खुलासा हुआ है. वो ये कि चुनाव के अंतिम महीने यानी मई में सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदे का प्रवाह कोलकाता में हुआ है.
टेलीग्राफ में छपी खबर के मुताबिक एक आरटीआई से पता चला है कि बीते महीने पूरे देश में करीब 822 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड बिके, जिनमें से 370 करोड़ केवल कोलकाता से खरीदे गए. ये कुल बिके बॉन्ड का 45 फीसदी होते हैं, जो कि कोलकाता की एसबीआई से जारी किए गए हैं.
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक जनवरी से लेकर मई तक पार्टियों को चंदे के रूप में करीब 4,794 करोड़ रुपये अपारदर्शी स्रोतों मिले हैं.
इस चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का धड़ल्ले से प्रयोग हुआ है. और इसका सबसे ज्यादा लाभ सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को हुआ है. इलेक्टोरल बॉन्ड में चंदा देने वाले व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं होती है. इसके चलते ये काफी विवादों में भी रहा है.
इसको लेकर चिंता जताई जाती रही है कि पैसे वाले लोग और कार्पोरेट घराने इसका इस्तेमाल चुनाव परिणाम को प्रभावित करने में कर सकते हैं.
ये बैंक आंकड़े सामने आने से पहले ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव में पैसे के इस्तेमाल की जांच करने का आदेश दे चुकी हैं. अब डाटा सामने आने के बाद ये साफ हो चुका है कि प्रदेश में चुनाव परिणाम प्रभावित करने के लिए पैसे का जमकर इस्तेमाल हुआ है.
मई के महीने में कोलकाता की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने देश में सबसे अधिक इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे. इस दौरान सिर्फ इसी शहर में करीब 370 करोड़ के बॉन्ड बेचे गए.
इस दौरान सबसे ज्यादा एक करोड़ की कीमत वाले बॉन्ड बिके, जो कि सिर्फ अमीर लोग या कंपनियां ही खरीद सकती हैं. एक करोड़ की कीमत वाले कुल 353 करोड़ रुपये के बॉन्ड बिके.
परिणाम वाली तिथि तक कुल 822 करोड़ के बॉन्ड जारी किए गए. परिणाम के अगले दिन 819 करोड़ रुपये बॉन्ड से कैश करा लिए गए. नियमों के मुताबिक बॉन्ड जारी होने वाली तिथि से अगले 15 दिन तक वैध रहते हैं.
हालांकि कौन सी पार्टी को इससे सबसे ज्यादा लाभ पहुंचा इस बात का कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं है. लेकिन मार्च 2018 तक जारी हुए इलेक्टोरल बॉन्ड से सबसे ज्यादा बीजेपी को फायदा पहुंचा था.
साल 2017-18 की इनकम टैक्स ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को कुल 210 करोड़ रुपये इस माध्यम से मिले थे.
इस आरटीआई खुलासे के बाद सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने ट्वीट किया, “पश्चिम बंगाल में बीजेपी की अभूतपूर्व जीत कैसे हुई, रोज के रोज इसका खुलासा हो रहा है.”
सीपीएम सहित पूरा विपक्ष इलेक्टोरल बॉन्ड का विरोध करता रहा है. इसे बीजेपी सरकार ने 2017-18 के बजट में पेश किया था. विपक्ष का कहना है कि इसके नियमों के मुताबिक सत्ताधारी पार्टी को इसका सीधा लाभ पहुंचेगा. जो कि साफ तौर पर देखा भी जा सकता है.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने सभी दलों को निर्देश दिया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चंदे की पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दें. अभी तक किसी भी पार्टी ने ऐसा नहीं किया है.