कैसे वो खेलें होरी!


satire on holi and modi politics

 

भगवा-विरोधियो शर्म करो. आखिरकार तुमने भक्तों की होली खोटी करा ही दी. जब भगवान मोदी ही होली नहीं खेलेंगे, तो भक्त कैसे होली खेल सकते हैं? सच्चा भक्त, झूठा अनुयाई नहीं होता.

वैसे यह तो मानना पड़ेगा कि मोदी जी ने भी कोई ऐंवें ही भक्तों की होली को खोटा नहीं हो जाने दिया. उन्होंने तो इस बार होली खेलने-खिलाने की पूरी-पूरी कोशिश की थी. इकॉनॉमी के बैठने का, रोजगार मिटने का शोर मचता रहा, पर क्या उन्होंने होली नहीं खेलने का रत्तीभर इशारा किया? हर्गिज नहीं. फिर दिल्ली में भगवा-भक्त, सीएए विरोधियों से भिड़ गए.

खूब खून की होली हुई. लाशों का आंकड़ा हाफ सेंचुरी पार कर गया. होली कैसे मनाएं, कैसे मनाएं के शोर से विरोधियों ने आसमान सिर पर उठा लिया. पर क्या मोदी जी ने एक बार भी होली नहीं खेलने का जिक्र किया? खुद होली नहीं खेलने की बात तो छोड़ो, उन्होंने तो भक्तों की होली खराब नहीं होने देने के लिए, दिल्ली की खून की होली पर संसद में चर्चा तक नहीं होने दी.

ईरान में और न जाने कहां-कहां चर्चा हो गयी, संयुक्त राष्ट्र संघ में चर्चा हो गई, और तो और ब्रिटिश संसद तक में चर्चा हो गई, पर महाराज मोदी ने दिल्ली में बैठी संसद में, दिल्ली की खून की होली की चर्चा नहीं होने दी. जाहिर है कि उन्होंने ऐसा कम से कम चर्चा से डर कर तो नहीं ही किया है.

पब्लिक ने जैसे छप्पर फाड़ कर लोकसभा में दोबारा बहुमत दिया है और जैसे मोदी जी ने राज्यसभा में बहुमत का जुगाड़ कर लिया है और जैसे संसद में हों या मंत्रिमंडल में, भगवान पर भक्तों की भक्ति अटूट है, उसके बाद मोदी जी को संसद में चर्चा का डर तो नहीं ही हो सकता है. उन्होंने तो कहा भी था कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, बस जरा होली का त्यौहार निकल जाने दो.

खून-खराबा तो होता ही रहता है, पर होली तो साल में एक ही बार आती है. खून-खराबे पर चर्चा बाद में भी कर लेंगे, बस जरा होली निकल जाए. विपक्ष वाले फिर भी नहीं माने तो अनुशासन का डंडा चलवा दिया, पर होली से पहले चर्चा नहीं होने दी. जाहिर है कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ इसी का ख्याल था कि खून की होली के रोने-गाने के चक्कर में, कहीं भक्तों का होली का मजा खराब नहीं हो जाए.

पर राष्ट्रविरोधी भी कहां हार मानने वाले थे. मध्य प्रदेश में खादी पार्टी वालों ने भक्तों का ‘ऑपरेशन होली’ फेल कर दिया और यूपी में योगी जी के ऑपरेशन होली की वसूली में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टांग अड़ा दी. इससे भी काम नहीं चला तो चीनवालों के साथ मिलीभगत कर के, भारतीय संस्कृति विरोधियों ने ऐसा षड्यंत्र रचा कि मोदी महाराज को भी हार कर कहना ही पड़ा कि इस बार होली नहीं खेल पांएगे.

कम्युनिस्ट चीन के भेजे कोरोना वाइरस ने, आखिरकार छप्पन इंची बहुसंख्यक श्रेष्ठता के वायरस को भी डरा दिया. गोरे विदेशी नेताओं की झप्पी-पप्पी के डर से, विदेशी दौरे रद्द कर के महाराज को देश में ही रहकर विपक्षी सांसदों की टें-टें सुननी पड़ रही है सो ऊपर से.

वैसे भक्तों की होली भले ही खोटी हो गई हो, पर महाराज मोदी ने कोरोना वायरस के डर में से भी, भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाने का मौका निकाल ही लिया है. विदेशी हैंड शेक की जगह पर, भारतीय नमस्ते को प्रमोट कर रहे हैं. फिर भी नमस्ते भले प्रमोट हो रही हो, पर विरोधियों ने भक्तों की होली तो खोटी करा दी. भगवा विरोध के चक्कर में बेचारी होली का विरोध? अब कैसे वो खेलें होरी!


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