आलोक वर्मा को पद से हटाया गया, पीएम पर जांच से बचने का कांग्रेस ने लगाया आरोप
सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्च अधिकार समिति की मैराथन बैठक हुई. इस बैठक के बाद आलोक वर्मा को उनके पद से हटाने की बात सामने आई है.
इस बैठक में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से नामित न्यायाधीश एके सीकरी भी मौजूद थे.
उधर विपक्ष ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि सरकार का ये फैसला गलत है, इसकी साजिश प्रधानमंत्री कार्यालय से की गई है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर जांच से बचने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक ट्विट में कहा था कि सरकार आलोक वर्मा को हटाने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है.
वहीं, आलोक वर्मा ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद और गलत बताया. उन्होंने कहा कि वे पूरी ईमानदारी से संस्थान की साख को बहाल करने की कोशिश कर रहे थे, जबकि प्रयास इस विश्वसनीयता को खत्म करने के हो रहे थे.
इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगाई, जस्टिस एस. के. कौल और के. एम. जोसेफ की पीठ ने अपने एक फैसले में आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था. साथ ही कोर्ट ने मोदी सरकार के उनको छुट्टी पर भेजने के अधिकार पर सवाल उठाते हुए उसे गलत बताया था.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि उन्हें निदेशक पद से प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस वाली उच्च स्तरीय समिति की मंजूरी लिए बिना नहीं हटाया जाना चाहिए था.
डीएसपीई एक्ट के तहत, ना तो सरकार और ना ही सीवीसी को यह अधिकार है कि वह सीबीआई निदेशक को उसके पद से हटा सके.
अपने पद पर बहाली के बाद ही आलोक वर्मा ने तत्कालीन कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव के जारी किए अधिकतर तबादलों के आदेश रद्द कर दिए थे.
केंद्रीय जांच एजेंसी में ये उथल-पुथल आलोक वर्मा और तत्कालीन विशेष सहायक निदेशक राकेश अस्थाना के बीच आपसी विवाद से शुरू हुई थी. दोनों ने सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे. इसके बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था.