एसबीआई: एक लाख रुपये से ज्यादा बढ़ सकती है डिपॉजिट कवर की लिमिट
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एसबीआई की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पंजाब और महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक के मामले के बाद जमाकर्ताओं को उनका पैसा डूबने का डर सता रहा है. इसी के चलते या फिर बैंक में चल रहे वित्तीय संकट को देखते हुए डिपॉजिट इंटरेस्ट बढ़ाए जाने की चर्चा चल रही है.
डिपॉजिट इंटरेस्ट का मतलब यह है कि किसी बैंक के दिवालिया होने कि स्थिति में ग्राहकों का पैसा पूरी तरह सेफ रहेगा. बैंक में सेविंग्स अकाउंट, करंट अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट ये सभी तरह के डिपॉजिट “डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड गारंटी कॉरपोरेशन” से सुनिश्चित होते हैं.
डीआईसीजीसी के नियम के मुताबिक डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर के तहत रकम को एक लाख रुपये से ज्यादा बढ़ाया जा सकता है. इसमें ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट दोनों शामिल हैं.
एसबीआई की एक रिसर्च टीम ने कहा है कि स्टडीज बताती है, “1993 के बाद से कस्टमर्स की प्रोफाइल और बैंकों के व्यवसाय करने के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आया है. मौजूदा समय में जमाकर्ताओं के लिए अधिकतम एक लाख रुपये की इंश्योरेंस रकम के दिन बीत चुके हैं.”
रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि डीआईसीजीसी कवरेज को दो कैटेगरी में बांटकर लिमिट बढ़ाई जा सकती है. सेविंग्स बैंक डिपॉजिट्स के मामले में कम से कम एक लाख रुपये का कवरेज (कुल सेविंग्स बैंक अकाउंट्स का लगभग 90 फीसदी) हो. टर्म डिपॉजिट के मामले में कम से कम दो लाख रुपये का कवरेज (कुल टर्म डिपॉजिट अकाउंट्स का लगभग 70 फीसदी) हो. इसका अर्थ है कि फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए कवरेज लिमिट कम से कम दोगुनी करने की जरूरत है.
रिपोर्ट के मुताबिक सीनियर सिटीजन के लिए विशेष प्रावधान होना चाहिए. डीआईसीजीसी के कवर में सुधार करने की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड लोगों के लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं है. ये अपने सेविंग्स की एक बड़ी रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते हैं.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिपॉजिट से हासिल होने वाले ब्याज पर टीडीएस लिमिट बढ़कर 50,000 रुपये हो चुकी है. यानी अब 50,000 रुपये तक के ब्याज से होने वाली इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आएगी. इससे वरिष्ठ नागरिक बैंक में उच्च अमाउंट रखने के लिए प्रेरित होंगे. ऐसे में डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट बढ़ने से उनके पैसे को ज्यादा सुरक्षा हासिल होगी.