शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाना बलात्कार
एक बेहद महत्वपूर्ण फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शादी का झांसा देकर किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार की श्रेणी में आता है. इस तरह बनाया गया यौन संबंध महिला के सम्मान पर गहरा आघात है.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और एमआर शाह की पीठ ने यह फैसला एक महिला द्वारा छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर पर 2013 में लगाए गए बलात्कार के आरोप पर सुनवाई के दौरान दिया.
कोर्ट ने कहा कि यह बात आरोपी को छूट देने का आधार नहीं बनती कि शोषित महिला और आरोपी अपने-अपने परिवारों के साथ सहजता से रह रहे है.
ख़बरों के अनुसार, महिला कोनी (बिलासपुर) की रहने वाली है और 2009 से डॉक्टर से परिचित थी. इन दोनों के बीच प्रेम संबंध था. आरोपी ने महिला को शादी करने का झांसा दिया था और दोनों पक्षों के परिवार उसके इस वादे के बारे में जानते थे. हालांकि आरोपी की बाद में एक अन्य महिला के साथ सगाई हो गई लेकिन उसने पीड़िता के साथ प्रेम संबंध खत्म नहीं किया. बाद में उसने अपना वादा तोड़ दिया और पहली महिला के साथ शादी कर ली.
कोर्ट ने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं आधुनिक समाज में बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बलात्कार नैतिक और शारीरिक रूप से किया जाने वाला सबसे निंदनीय अपराध है.
इस मामले में छतीसगढ़ हाई कोर्ट ने आरोपी को दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को मुक्त नहीं किया लेकिन उसकी सजा की अवधि घटाकर सात साल कर दी.