CJI यौन शोषण मामला: 350 महिला अधिकार कार्यकर्ता बोले ‘सुप्रीम इनजस्टिस’
सीजेआई के खिलाफ यौन शोषण मामले में गठित कमिटी की रिपोर्ट के खिलाफ आवाजें लगातार बुलंद होती जा रही हैं. अब एक नए घटनाक्रम में 300 से अधिक महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर जस्टिस बोबड़े कमिटी के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है.
इन कार्यकर्ताओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपनी शक्तियों के दुरुपयोग का मामला बताया है. इन लोगों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है.
सुप्रीम इनजस्टिस नाम से जारी इस प्रेस बयान में कहा गया है, “आज हम सुप्रीम कोर्ट की साख के अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. कोर्ट सीजेआई के खिलाफ यौन शौषण मामले की शिकायत की निष्पक्ष जांच करने में असफल रहा है. आरोप लगाने वाली महिला की विशेष जांच समिति बनाने की मांग को खारिज कर दिया गया. इसकी जगह पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन ऐसे जजों को मिलाकर आंतरिक कमिटी गठित कर दी जो वरीयता क्रम में चीफ जस्टिस से नीचे थी. छह मई को इस कमिटी ने फैसला दे दिया कि ये शिकायत निराधार है.”
इन हस्ताक्षर करने वालों में ज्यादातर न्याय, अधिकार और न्यायिक सुधार संबंधी मुद्दों से जुड़े हुए हैं. खासतौर पर ये महिला अधिकारों से संबंधित संगठनों से ताल्लुक रखते हैं.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन उत्पीड़न के मामले में आंतरिक जांच कमिटी ने कुछ ठोस प्रमाण मिलने से इनकार किया था. इसके साथ ही जस्टिस गोगोई को इस मामले में क्लीन चिट सौंप दी गई थी.
इस पर शिकायत करने वाली महिला ने असहमति जताई थी. एक पत्र में उन्होंने कहा कि यह जानकर कि आंतरिक जांच कमिटी को मेरी शिकायत में कोई मजबूत आधार नहीं मिल पाया है, मुझे भारी दुख हुआ है. उन्होंने कहा कि भारत की एक महिला नागरिक होने के चलते मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है.
इस फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट को चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर विरोध-प्रदर्शन भी हुए हैं. इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेते हुए कोर्ट परिसर में धारा 144 लागू कर दी है.