पटना साहिब से जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे शत्रुघ्न?


Shatrughna will be able to win a hat-trick of victory from Patna Sahib?

 

बिहार की राजधानी में दिग्गजों के बीच टक्कर है जहां शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब लोकसभा सीट लगातार तीसरी बार बचाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. सिन्हा इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं और उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है. सातवें चरण में पटना साहिब सीट पर मतदान होगा.

पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुल मिलाकर 18 उम्मीदवार मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में पूरा पटना और बाहरी क्षेत्र के कुछ हिस्से आते हैं. यद्यपि इसे मुख्य तौर पर अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर प्रसाद के बीच सीधे मुकाबले के तौर पर देखा जा रहा है.

पटना साहिब संसदीय क्षेत्र का नाम सदियों पुराने सिख गुरुद्वारे पर रखा गया है. यह गुरुद्वारा गंगा किनारे स्थित है. यहीं गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था और उनका बचपन बीता था. पटना साहिब सीट 2008 के सीमांकन में अस्तित्व में आई. इसके बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने यहां से 2009 में जीत दर्ज की और पांच वर्ष बाद इसे बरकरार रखा.

‘बिहारी बाबू’ के नाम से लोकप्रिय शत्रुघ्न सिन्हा ने पटना साहिब से तीसरी बार जीत दर्ज करने का पूरा भरोसा जताया है.

शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, ‘‘मैंने पूर्व के दो चुनावों में इस सीट से बिहार में सबसे अधिक अंतर से जीत दर्ज की है. ऐसा लोगों का मेरे लिए प्यार के चलते हुआ. मैं आदतन पार्टी बदलने वाला नहीं हूं. जिन परिस्थितियों में मुझे बीजेपी छोड़नी पड़ी वह सबको पता है.’’

शत्रुघ्न सिन्हा 1990 दशक के शुरुआती वर्षों से बीजेपीसे जुड़े थे. बीजेपी नेतृत्व के साथ उनके मतभेद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके करीबी अमित शाह के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शुरू हुए.

सिन्हा ने बीजेपी में रहते हुए कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा था.

बीजेपी शत्रुघ्न सिन्हा की संभावनाओं को खारिज करती है. बीजेपी का कहना है कि सिन्हा का पूर्व के चुनावों में प्रदर्शन पार्टी से उनके जुड़ाव के चलते था.

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘‘पटना साहिब के तहत जो छह विधानसभा सीटें हैं, उनमें से पांच बीजेपी के पास हैं. ऐसा इसके बावजूद हुआ था कि विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के हाथ मिला लेने के चलते हमारी पार्टी ने काफी कड़े मुकाबले का सामना किया था.’’

सुशील कुमार मोदी ने कहा, ‘‘नीतीश अब हमारे साथ वापस आ गए हैं और रामविलास पासवान भी, जो 2009 में हमारे साथ नहीं थे. इसलिए हमारी संभावनाएं पहले से अधिक मजबूत हैं. इसके अलावा हमारे साथ नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और यह तथ्य भी है कि कांग्रेस का अब बिहार में प्रभाव नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा को स्वयं को भाग्यशाली समझना चाहिए यदि एक पोलिंग एजेंट भी मिल जाए.’’

इस बीच कांग्रेस सिन्हा के लिए काफी जोश के साथ प्रचार कर रही है. इसमें उसकी सहयोगी राजद भी सहयोग कर रही है.

आप, भाकपा और माकपा जैसी पार्टियों ने ‘‘धर्मनिरपेक्षता के लिए और बीजेपी को हराने’’ के वास्ते अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया है, हालांकि इसका कोई अधिक प्रभाव होने की उम्मीद नहीं है.

बीजेपी को जो एक बात चिंतित करती है वह है प्रसाद को पार्टी उम्मीदवार बनाये जाने से राज्यसभा सदस्य रवींद्र किशोर सिन्हा को हुआ असंतोष. रवींद्र किशोर सिन्हा यह सीट स्वयं या अपने पुत्र रितुराज के लिए चाहते थे.

रवींद्र किशोर सिन्हा के बारे में कहा जाता है कि वे कायस्थ जाति में काफी लोकप्रिय हैं.

जब हाल में आर के सिन्हा से शत्रुघ्न सिन्हा के बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तब उन्होंने कहा था, ‘‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि मैं रविशंकर प्रसाद को वोट करने के लिए पटना आऊंगा.’’

हालांकि उन्होंने यह भी कहा, ‘‘शत्रुघ्न सिन्हा एक वरिष्ठ एवं अनुभवी नेता हैं. यदि वह कहते हैं कि वे जीत सकते हैं तो इसके पीछे उनके कारण होंगे.”


Big News