दम तोड़ रही है कुपोषण के खिलाफ लड़ाई, 2022 तक हर तीसरा बच्चा होगा अविकसित


Slow pace of eradication of malnutrition, by 2022, every third child will be underdeveloped

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देश में कुपोषण के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में तेजी लाने की जरूरत है. देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा पर प्रकाशित एक विश्लेषण के मुताबिक जिस गति से देश में कुपोषण को रोकने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, अगर यही हालात रहे तो साल 2022 तक पांच साल से कम उम्र का हर तीसरा बच्चा कुपोषण की वजह से अविकसित रह जाएगा.

अंग्रेजी अखबार द हिन्दू में छपी खबर के मुताबिक पिछले एक दशक में गंभीर कुपोषण की वजह से बच्चों के अविकसित रहने के मामलों में केवल एक फीसदी की कमी आई है. यह विकासशील देशों में सबसे खराब प्रदर्शन है. हालात में बदलाव नहीं हुए तो साल 2022 तक 31.4 फीसदी बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित होंगे. रिपोर्ट के मुताबिक कुपोषण को 25 फीसदी के तय लक्ष्य तक रोकने के लिए दोगुनी गति से प्रयास करने की जरूरत है.

भूखमरी को खत्म करने के लिए दूसरे सतत विकास लक्ष्य में भारत की प्रगति को लेकर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है. इसे यूएन विश्व खाद्य कार्यक्रम के सहयोग से सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य अनाजों के उत्पादन में 33 फीसदी की वृद्धि हुई है. लेकिन खाद्य उत्पादन के 2030 के तय लक्ष्यों में केवल आधे को पूरा किया जा सका है.

देश में अनाजों का उत्पादन बढ़ा है लेकिन जनसंख्या वृद्धि, असमानता, खाद्य सामग्री की बर्बादी और निर्यात की वजह से उस अनुपात में उपभोक्ताओं के बीच इसका उपभोग नहीं बढ़ पाया है. हालांकि देश अनाज उत्पादन में अब आत्मनिर्भर हो चुका है.

अब भी 30 फीसदी गरीब प्रति दिन निर्धारित 2155 किलो कैलोरी की तुलना में केवल 1811 किलो कैलोरी का भोजन ही कर पाते हैं. यह असमानता बच्चों में सबसे अधिक दिखती है.

बिहार(48 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (46 फीसदी) में हर दूसरा बच्चा कुपोषण की वजह से अविकसित रह गया है. इस मामले में गोवा और केरल की स्थिति बेहतर है. यहां पांच बच्चों में एक का विकास नहीं हो पाया है.

आभावग्रस्त हालात में रहने वालों में 51.4फीसदी, आदिवासियों में 43.5 फीसदी, अनुसूचित जाति में 42 फीसदी और अनपढ़ माताओं के 51 फीसदी बच्चों का विकास कुपोषण की वजह से रुक गया है.


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