मध्यम और लघु इकाइयों तक फैला स्टील क्षेत्र में मंदी का असर


slump in steel sector spreads to small medium enterprises

 

भारतीय स्टील उद्योग में आई आर्थिक मंदी का असर मध्यम एवं लघु उपक्रमों पर भी पड़ रहा है. लगातार घटती जा रही मांग के चलते बहुत सी मध्यम और छोटी कंपनियों ने अपने उत्पादन में कमी की है.

ऐसी स्टील इकाइयां भारत का लगभग आधा स्टील उत्पादन करती हैं. लेकिन लौह अयस्क की ऊंची कीमतों और कमजोर मांग की वजह से अगस्त के बाद से ये इकाइयां उत्पादन घटाने के लिए मजबूर हुई हैं. कई इकाइयों में तो उत्पादन घटकर आधा रह गया है.

असल में ऑटो इंडस्ट्री के संकट का असर स्टील इंडंस्ट्री पर तो पड़ा ही है, साथ ही रियल स्टेट क्षेत्र की कमजोर मांग ने भी इसके ऊपर नकारात्मक प्रभाव डाला है.

पुणे स्थित कल्याणी स्टील के प्रबंध निदेशक आरके गोयल ने कहा, “बाजार में इस समय कोई खरीदार नहीं है. बिक्री नहीं हो रही है. मेरी कंपनी के पास हर साल ढाई लाख टन स्टील का उत्पादन करने की क्षमता है. पिछले 15 दिनों में हमने उत्पादन में 25 से 50 प्रतिशत की कमी की है.”

वहीं लुधियाना स्थित वर्धमान स्पेशल स्टील्स के उपाध्यक्ष सचित जैन ने कहा कि उनकी कंपनी अक्टूबर से उत्पादन घटाना शुरू करेगी. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि औरों के मुकाबले उनकी कंपनी के उत्पादन में उतनी कमी नहीं आएगी.

जुलाई में स्टील की कीमतें 40 हजार रुपये प्रति टन के नीचे गिर गईं. दिसंबर 2017 के बाद यह पहला ऐसा मौका था. एक रिपोर्ट में पता चला कि इसी समयाविधि में स्टील मिलों में कच्चे माल का भंडारण 45 दिनों में 14.6 मिलियन टन हो गया. यह औसत बीस दिनों के मुकाबले बहुत अधिक था.

कर्नाटका स्पंज ऑयरन मैन्युफैक्चरर्स के अध्यक्ष पी वी एस राव ने कहा, “पिछले दो-तीन महीनों में हमने उत्पादन घटाया है. जुलाई में उत्पादन घटाने के बाद कर्मचारियों को सैलरी देने में देरी हुई है.”

राव ने बताया कि कमजोर मांग के बाद भी निजी और सार्वजनिक दोनों तरह की खानों से आने वाले लौह अयस्क की कीमतें पहले की ही तरह ऊंची हैं. इस वजह से भी कई इकाइयों ने अपना उत्पादन घटाया है.

उन्होंने बताया कि जुलाई से पहले हर दिन उनके यहां 10 हजार टन स्पंज आयरन का उत्पादन होता था. जुलाई के बाद से इसमें 30 प्रतिशत की कमी आई है.

सिर्फ छोटी स्टील इकाइयां ही अपने उत्पादन में कटौती नहीं कर रही हैं. बड़े स्टील उत्पादक भी मंदी से जूझ रहे हैं.

अगस्त में भारत की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माती कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील ने कच्ची स्टील के उत्पादन में 13 प्रतिशत की कमी की है. एक साल पहले इसी महीने में कंपनी ने 1.25 मिलियन टन कच्ची स्टील का उत्पादन किया था. लगभग यही हाल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया का भी है.


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