स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़े पूर्वोत्तर के राज्य, मध्य प्रदेश सबसे आगे


smart city schemes madhya paradesh's indore tops northeastern states lags behind

 

मंत्रालय द्वारा संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में सभी राज्यों के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिये अब तक 18614.10 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता राशि जारी की गयी. राज्य इसमें से 9497.09 करोड़ रुपये (51 फीसदी) का इस्तेमाल कर पाये हैं.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ और रामपुर, पश्चिम बंगाल के बिधाननगर, दुर्गापुर और हल्दिया, महाराष्ट्र में ग्रेटर मुंबई और अमरावती तथा तमिलनाडु के डिंडीगुल को पांच साल में महज दो करोड़ रुपये ही केन्द्रीय राशि मिली है. मंत्रालय के एक अधिकारी ने इन शहरों से परियोजनाओं के प्रस्ताव नहीं मिलने को कम राशि जारी होने की मुख्य वजह बताया है.

देश के सौ शहरों को अत्याधुनिक नागरिक सुविधाओं से लैस करने के लिये शुरू की गयी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘स्मार्ट सिटी परियोजना’ में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य फिसड्डी साबित हो रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश इस मामले में अन्य राज्यों से काफी आगे है.

शहरी जीवन को आसान बनाने (ईज ऑफ लिविंग) के लिये आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जून 2015 में शुरू की गयी इस परियोजना की प्रगति की राज्यवार समीक्षा के मुताबिक पिछले पांच सालों में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत केन्द्र की ओर से जारी राशि में से राज्य अभी आधी राशि का ही इस्तेमाल कर पाए हैं.

इसके अनुसार स्मार्ट सिटी के तहत इन शहरों में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की पूर्वोत्तर राज्यों में न सिर्फ गति बहुत धीमी है बल्कि तमाम शहर केन्द्रीय राशि का पैसा भी खर्च करने में सुस्त हैं. हालांकि उत्तर प्रदेश और और पश्चिम बंगाल के कुछ शहरों को केन्द्र द्वारा पांच साल में महज दो करोड़ रुपये ही जारी किये जाने के कारण इन शहरों में परियोजनाएं सुस्त हैं.

परियोजना की प्रगति रिपोर्ट के मुताबिक इस साल 15 नवंबर तक परियोजना में चयनित 100 शहरों की ओर से 2.05 लाख करोड़ रुपये की लागत वाले कुल 5,151 परियोजनाओं के प्रस्ताव केन्द्र को मिले. इनमें से 1.49 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 4,178 परियोजनाओं के लिये निविदायें जारी की गयीं, 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 3,376 परियोजनाओं का काम जारी है और 2,3170 करोड़ रुपये की लागत से 1,296 परियोजनाएं पूरी कर ली गयी हैं.

परियोजना की राज्यवार समीक्षा के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के दो शहरों में एक भी परियोजना अब तक पूरी नहीं हो पायी है, जबकि असम के गुवाहटी में अब तक सिर्फ पांच परियोजनाओं पर काम शुरू हो पाया, इनमें से दो ही पूरी हो पाई.

मणिपुर और मेघालय का रिपोर्ट कार्ड भी शून्य है और सिक्किम में सिर्फ एक परियोजना पूरी हुई. इस मामले में सिर्फ त्रिपुरा, नगालैंड और मिजोरम में लगभग आधी परियोजनाएं पूरी हो पाई हैं.

जम्मू कश्मीर के दोनों शहरों जम्मू और श्रीनगर की 20 स्वीकृत परियोजनाओं में से एक भी पूरी नहीं हो सकी और पश्चिम बंगाल के न्यू टाउन कोलकाता में 56 में से महज 1.1 करोड़ रुपये की लागत वाली चार परियोजनाएं पूरी हो सकी.

स्मार्ट सिटी की दौड़ में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और गुजरात सबसे आगे हैं. मध्य प्रदेश ने लगभग 300 स्वीकृत परियोजनाओं में से 5,275 करोड़ रुपये की लागत वाली 265 परियोजनाएं पूरी कर ली हैं.

परियोजना में शामिल राज्य के सात शहरों में इंदौर, 154 परियोजनायें पूरी कर देश के सौ शहरों में सबसे आगे है. वहीं कर्नाटक में 193, उत्तर प्रदेश में 136 और गुजरात में 131 परियोजनायें पूरी हो गयी हैं.


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