डाटा लोकलाइजेशन पर सरकार का यू-टर्न, विदेशी कंपनियों को छूट
निजी डाटा संरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई है. इसके साथ ही कुछ निजी डाटा को व्यक्तिगत रजामंदी से विदेश में रखा जा सकता है इसके लिए जरूरी नहीं है कि उसकी एक कॉपी भारत में भी जमा हो.
विधेयक के इससे पहले के मसौदे में निजी डाटा की एक कॉपी भारत में भी जमा करने का प्रस्ताव था.
इस नियम का विदेशी तकनीकी कंपनियों ने आलोचना की थी.
हालांकि, अब भी विधेयक में संवेदनशील निजी डाटा को भारत में भी जमा रखना होगा. इसमें वित्त, स्वास्थ्य, सेक्शुअल ओरिएंटेशन, बायोमेट्रिक, जेनेटिक, ट्रांसजेंडर स्टेटस, जाति और धार्मिक मान्यता शामिल हैं. विदेशों में यह डाटा तभी संरक्षित किया जा सकता है जबतक डाटा संरक्षण एजेंसी से मंजूरी नहीं मिल जाती है.
सरकार की ओर से बार बार कहा गया है कि संवेदनशील डाटा को भारत में भी रखना होगा. इस प्रावधान का असर गूगल, फेसबुक और व्हाट्सएप जैसी कंपनियों पर होगा.
बिल में हुए बदलाव के बाद कंपनियों को सरकार को गैर-निजी डाटा उपलब्ध कराना होगा, जैसे- ट्रैफिक पैटर्न या डेमोग्राफिक जानकारियां, जिसका इस्तेमाल कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए करती हैं.
बिल में यह प्रवधान बरकरार है जिसके तहत कानून का मामूली तौर पर उल्लंघन करने पर उनके वैश्विक कारोबार का दो फीसदी या पांच करोड़ रुपये देना होगा और ज्यादा गंभीर उल्लंघन करने पर वैश्विक कारोबार का चार फीसदी या 15 करोड़ रुपये जुर्माना भरना होगा. इसके अलावा कंपनी के प्रमुख को तीन साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है.
शीतकालीन सत्र में इस बिल को बहस के लिए लोकसभा में पेश किया जाएगा.