विविधता विरोधियों को आज देशभक्त कहा जा रहा है: सोनिया गांधी


ew Delhi: UPA Chairperson Sonia Gandhi with social activist Aruna Roy at 'Peoples’ Agenda- Jan Sarokar 2019' at Talkatora Stadium in New Delhi, Saturday, April 6, 2019

 

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि लोगों को देशभक्ति की एक नई परिभाषा सिखाई जा रही है. आज विविधता स्वीकार नहीं करने वाले लोगों को देशभक्त कहा जा रहा है.

सोनिया गांधी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित ‘जन सरोकार 2019’ में कहा कि वर्तमान सरकार असहमति को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. उन्होंने कहा कि जब अपनी आस्था पर कायम रहने वालों पर हमले होते हैं तो ये सरकार मुंह मोड़ लेती है.

सोनिया गांधी ने कहा कि देश की आत्मा को सुनियोजित साजिश के जरिये कुचला जा रहा है जो  चिंता की बात है.  उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार देश में कानून का शासन कायम करने के अपने कर्तव्य पालन को तैयार नहीं है.

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कांग्रेस के चुनावी वादे पर कहा कि यदि पार्टी सत्ता में आई तो उनके अमल की निगरानी के लिए एक व्यवस्था विकसित की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘हमने जो वादे किये हैं उन्हें लेकर मुझे कोई संदेह नहीं है. हमारी सरकार बनने के बाद उनके क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक व्यवस्था बनाई जाएगी.’’

‘जन सरोकार 2019’ कार्यक्रम में देश भर से आए जन आंदोलनों से जुड़े नेताओ और गैर-सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने अपनी राय रखी. अंत में उन्होंने वर्तमान एनडीए सरकार के खिलाफ एक आरोप-पत्र जारी किया, जिसमें सरकार पर वादा-खिलाफ़ी करने और देश का माहौल बिगाड़ने का इल्जाम लगाया गया है.

चार्जशीट(आरोप पत्र) की प्रमुख बातें

1. साल 2015 के बाद से भारत के 10 राज्यों में भूख की वजह से 75 लोगों की मौत हुई जिनमें बच्चे भी शामिल हैं.

2.  एनडीए की ओर से आधार को अनिवार्य बनाने के दबाव की वजह से लाखों परिवारों को राशन नहीं मिल पाया. आधार में तकनीकी गड़बड़ी होने से बायोमीट्रिक पहचान की पुष्टि नहीं हो पाई और इसकी वजह से लोगों की मौत हुई.

3. बीजेपी के शासनकाल में बेरोजगारी की दर सात फीसदी तक बढ़ गई जो कि 45 साल में सबसे अधिक रहा.

4. एनडीए के शासनकाल में साल 2018 में 1.1 करोड़ लोगों की नौकरी छूट गई जिनमें 90 लाख ग्रामीण हैं. पीएम मोदी ने दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. लेकिन अब भी 11.56 करोड़ शिक्षित युवा बेरोजगार हैं.

5. एनडीए के शासनकाल में 1.33 लाख करोड़ सार्वजनिक धन की लूट हुई. इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के  बैंकों से 1.2 लाख करोड़ रुपये शामिल हैं.

6. हाउसिंग फॉर ऑल(पीएमएवाई 2022) के वादे के बावजूद केवल आठ फीसदी लोगों को घर मिल पाया. चार साल में केवल 21 फीसदी फंड खर्च हुआ.

7. एनडीए के शासनकाल में 2.6 लाख लोगों को विस्थापित किया गया.

8. एनडीए ने 2014-15 की तुलना में आदिवासियों के लिए 52 फीसदी कम फंड जारी किया.

10. बीजेपी ने भारतीय वन कानून में बदलाव कर वन अधिकारियों को आदिवासियों को गोली मारने की खुली छूट दे दी है.

11. आयुष्मान भारत के तहत देश की 40 फीसदी आबादी के लिए 2000 करोड़ रुपये जारी, यह प्रति व्यक्ति 40 रुपये आता है.

12. एनडीए के पहले तीन साल में पत्रकारों पर 189 हमले हुए.

13. इलेक्टोरल बांड को लाने से गुमनाम दानदाताओं की संख्या में 12 गुनी बढ़ोतरी हुई. जिसमें 95 फीसदी दान बीजेपी को मिला.

13. यूजीसी की फंडिंग 55 फीसदी घटी. जबकि शिक्षण संस्थाओं की फीस बढ़ गई. पंजाब विश्वविद्यालय की फीस 1100 फीसदी और आईआईटी बॉम्बे की फीस 55 फीसदी बढ़ गई.

14. एनडीए ने शासनकाल में आदिवासियों और दलितों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में 13,107 करोड़ की कटौती हुई.

15. उच्च शिक्षण संस्थानों के 45 फीसदी पद खाली हैं.


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