IIMC में छात्रों और पत्रकारों ने मीडिया के खिलाफ खोला मोर्चा
भारतीय जनरसंचार संस्थान के छात्रों और पत्रकारों ने 6 जनवरी को संस्थान के परिसर में मेनस्ट्रीम मीडिया चैनलों और अखबारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में हो रहे लगातार हमले और हिंसा की जिस तरह से एकतरफा कवरेज मीडिया में हो रही है, उससे जनता भ्रमित हो रही है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की अंधसमर्थक मीडिया अब धर्म के नाम पर लोगों में जहर फैलाने का काम भी कर रही है. पत्रकारिता में हो रहे इस नैतिक पतन का विरोध पत्रकारों द्वारा ही खुले तौर पर शुरू हो गया है.
अपने प्रदर्शन में पत्रकारों ने पोस्टरों और नारों के साथ मीडिया के ‘सांप्रदायिक चरित्र’ के खिलाफ आवाज बुलंद की. ‘एंकर तेरा काम है बदतर, भुगत रहा है ग्राउंड रिपोर्टर’, ‘सुधीर चौधरी! IIMC तुम पर शर्मिंदा है’, ऐसे तमाम नारे देर शाम तक कैंपस में गूंजते रहे.
इस विरोध प्रदर्शन में पत्रकारों के साथ-साथ सिविल सोसायटी के लोग भी शामिल थे. प्रोटेस्ट में आए हुए स्टैंडअप कॉमेडियन रवि गुप्ता ने इस प्रोटेस्ट को एक बहुत ही जरूरी कदम बताया. उन्होंने कहा कि मीडिया की एकतरफा और झूठी कवरेज की वजह से उनके कई रिश्तेदारों, दोस्तों का ब्रेनवाश हो चुका है. अब लोग छात्रों की पिटाई को जायज बताने लगे हैं क्योंकि टीवी चैनलों ने उन्हें बताया है कि सालों से ये छात्र देश को बांटने का काम कर रहे हैं. ऐसे में हमें इन चैनल्स का बॉयकॉट कर देना चाहिए.
विरोध प्रदर्शन में शामिल पत्रकार मनदीप पुनिया के मुताबिक, ‘ये एंकर्स स्टूडियो में सुरक्षित माहौल में बैठकर प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं और हम जैसे रिपोर्टर्स जो कि जमीन पर होते हैं, लोगों के गुस्से का शिकार होते हैं. मार तो हमें पड़ती है.’
भारतीय जनसंचार संस्थान के वर्तमान छात्र ऋषिकेश शर्मा ने कहा कि मीडिया ने आम लोगों के हितों की बात करने वाले एक खास विचार के लोगों के प्रति अपने दर्शकों के बीच जो भ्रामक जानकारियां प्रसारित-प्रचारित कीं और जो नफरत का नैरेटिव बना दिया है, यह उसी का नतीजा है कि देश के शिक्षण संस्थानों में माहौल इतना खराब होता जा रहा है. छात्रों पर सरकार कोई ईडी और सीबीआई का छापा तो मरवा नहीं सकती थी तो अब परेशान होकर कैंपस में ही पुलिस और गुंडों से लाठियां चलवाने लगी है. अगर ये साहस आज सरकार और पुलिस को मिला है तो ये मीडिया द्वारा इनके प्रति सेट किये गए गलत नैरेटिव से मिला है.
संस्थान के एक और छात्र देवेश मिश्रा के मुताबिक, ‘आज का मीडिया, मुख्यधारा का मीडिया पूरी तरह से अपने जनहित के सरोकारों को भूल चुका है. वह तथ्यों को इस तरह से तोड़ मरोड़ कर एक प्रोपेगेंडा के तहत खबरें चलाता है ताकि जनता को गुमराह किया जा सके.’