उत्तर प्रदेश: गन्ना किसानों का बकाया दस हजार करोड़ के पार


sugar cane dues cross 10,000 crore in up

 

तमाम चुनावी घोषणाओं और वादों के बीच उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. राज्य में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान बढ़कर दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का हो गया है.

इंडियन एक्सप्रेस ने गन्ना आयुक्त कार्यालय के हवाले से लिखा है कि 22 मार्च तक राज्य के चीनी मिलों ने सरकार के तय मूल्यों के हिसाब से 24,888.65 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा था. राज्य सरकार ने सामान्य गन्ना 315 रुपये प्रति क्विंटल और जल्दी तैयार होने वाली किस्मों की कीमत 325 रुपये प्रति क्विंटल तय की है.

किसानों को 14 दिनों के भीतर खरीदे गए गन्ने का 22,175.21 करोड़ रुपये भुगतान होना था. लेकिन भुगतान सिर्फ 12,339.04 करोड़ रुपये का हुआ हो सका है. जिससे 9,836.17 करोड़ रुपये का बकाया सरकार के पास रहा.

अगर इसमें सीजन 2017-18 का बकाया जोड़ दें तो कुल राशि 10,074.98 करोड़ रुपये हो गई.

ये हालत तब है जब 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि उनकी सरकार किसानों को बिक्री के 14 दिनों के भीतर गन्ने का पूरा भुगतान सुनिश्चित करेगी.

गन्ना भुगतान से संबंधित कानून में भी 14 दिन के भीतर भुगतान करने का प्रावधान है. लेकिन सरकार ना अपना वादा पूरा करने में सफल रही है और ना ही कानूनी प्रावधानों का पालन सुनिश्चत कर सकी है.

उत्तर प्रदेश में गन्ना एक प्रमुख नगदी फसल के रूप में बोया जाता है, लेकिन समय पर भुगतान ना होने के चलते गन्ना बुवाई का क्षेत्र लगातार सिकुड़ता जा रहा है. लेकिन अभी भी करीब 28 लाख एकड़ में गन्ने की खेती होती है.

राज्य के किसान गन्ना मूल्य बढ़ाए जाने की लगातार मांग करते रहे हैं. समय-समय पर गन्ना मूल्य में मामूली बढ़ोत्तरी भी की गई है, लेकिन ये बढ़ोत्तरी पर्याप्त नहीं है. उदाहरण के लिए 2016-17 के सीजन में गन्ने के मूल्य में 10 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली वृद्धि की गई.

गन्ने की फसल का पर्याप्त मूल्य ना मिलना और जो मिलता भी है उसका समय पर भुगतान ना होना गन्ना किसानों के लिए हमेशा से समस्या रहा है. अब जबकि एक बार फिर से चुनाव नजदीक हैं ऐसे में गन्ना किसानों की नाराजगी सत्ताधारी बीजेपी के लिए चुनौती बन सकती है.


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