सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द किया, एनबीसीसी को लंबित परियोजना पूरा करने को कहा


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सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के हजारों मकान खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए इस समूह का पंजीकरण रद्द कर दिया. इसके साथ ही समूह की सभी लंबित परियोजनाओं को पूरी करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन (एनबीसीसी) को नियुक्त किया है.

जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस उदय यू ललित की पीठ ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा आम्रपाली समूह को दी गई संपत्तियों के पट्टे भी रद्द कर दिए हैं.

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली समूह के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा और दूसरे निदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कथित धन शोधन के मामले की जांच का निर्देश भी दिया है.

पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी को कोर्ट का रिसीवर नियुक्त किया है. समूह की तमाम संपत्तियों के पट्टे रद्द होने के बाद इनके सारे अधिकार वेंकटरमणी को मिल जाएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेंकटरमणी को बकाया रकम की वसूली के लिए समूह की संपत्तियों को तीसरे पक्ष को बेचने के लिए समझौता करने का अधिकार होगा.

पीठ ने रीयल एस्टेट विनियमन प्राधिकार (रेरा) के तहत आम्रपाली समूह का पंजीकरण रद्द करते हुए कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के मानकों का उल्लंघन करके मकान खरीदारों के धन का अन्यत्र इस्तेमाल किया गया.

कोर्ट ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के प्राधिकारियों ने आम्रपाली समूह के साथ सांठगांठ कर उसे मकान खरीदारों की गाढ़ी कमाई का इस्तेमाल अन्यत्र करने की अनुमति दी और कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं की. पीठ ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को अपनी बकाया रकम वसूल करने के लिए आम्रपाली समूह की संपत्तियों को बेचने का कोई अधिकार नहीं होगा.

न्यायालय ने आम्रपाली समूह के 42,000 से अधिक खरीदारों को राहत देते हुए नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को निर्देश दिया कि वह समूह की विभिन्न परियोजनाओं में पहले से ही रह रहे मकान खरीदारों को परियोजना पूरी होने संबंधी आवश्यक प्रमाणपत्र जारी करें.

पीठ ने केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे परियोजनाएं समय से पूरा कर उसे नहीं सौंपने वाले बिल्डरों के खिलाफ उचित कार्रवाई करे.


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