अयोध्या भूमि विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित रखा


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद में सुनवाई पूरी कर ली है और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच ने 40 दिन तक इस मामले में दलीलें सुनीं.

इससे पहले सुनवाई के दौरान उच्च स्तर का ड्रामा हुआ, जब सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफदारी कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अखिल भारतीय हिंदू महासभा के वकील द्वारा दिए गए कागजों को फाड़ दिया.

बताया जा रहा है कि उन कागजों में रामलला जन्म स्थल को चित्रित करता हुआ नक्शा था. राजीव धवन ने बाद में बताया कि चीफ जस्टिस ने उन्हें कागजों को फाड़ने की अनुमति दी थी. वहीं चीफ जस्टिस ने भी व्यंगात्मक लहजे में कहा कि उन्होंने वास्तव में धवन को ऐसा करने की इजाजत दी थी.

वहीं इस हफ्ते अयोध्या जिला प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में 10 दिसंबर तक धारा 144 लगा दी है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर की गईं थीं. शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. अब इन 14 अपीलों पर सुनवाई पूरी हो गई है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.


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