निर्भया मामला: सुप्रीम कोर्ट ने दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2012 में हुए दिल्ली सामूहिक बलात्कार के दोषी मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देने वाली अपील ठुकरा दी है. मुकेश के वकील ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की दया याचिका को खारिज किए जाने के बाद उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
जस्टिस आर भानूमति की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इसे चुनौती देने का कोई आधार नहीं है.
बेंच ने कहा कि दोषी ने जितनी भी शंकाएं उठाई हैं उन सब पर राष्ट्रपति से पहले ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और गृह मंत्रालय ने विचार किया था.
1 फरवरी, 2020 को चारों दोषियों मुकेश (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को फांसी की सजा होनी है.
मुकेश के अधिवक्ता ने कथित रूप से आरोप लगाया था कि जेल में उसका यौन शोषण किया गया है, उसे यातनाएं दी गई हैं और इन साक्ष्यों को राष्ट्रपति के सामने नहीं रखा गया था.
वकीलों का यह भी कहना है कि उसे दया याचिका खारिज होने से पहले ही एकांत कारावास में भेज दिया गया था जो कि मानदंडों का उल्लंघन है.
इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कथित रूप से यातनाएं दिया जाना दया याचिका का आधार नहीं हो सकता है और ये भी कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष सभी कागजात पेश किए गए हैं.
इसके अलावा एक दूसरे दोषी अक्षय कुमार ने आज सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है. अबतक विनय और मुकेश की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर चुका है.