कर्नाटक: बागी विधायकों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बागी विधायकों की अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायालय 17 जुलाई को सुबह साढ़े दस बजे अपना फैसला सुनाएगा.
इससे पहले बागी विधायकों की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि इस्तीफा सौंपे जाने के बाद उसका निर्णय गुण-दोष के आधार पर होता है न कि अयोग्यता की कार्यवाही लंबित रहने के आधार पर, विधानसभा अध्यक्ष को देखना होगा कि इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं.
रोहतगी ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष को विधायकों का इस्तीफा स्वीकार करना ही होगा, उससे निपटने का और कोई तरीका नहीं है. उन्होंने कहा कि विधानसभा में विश्वास मत होना है और बागी विधायकों को इस्तीफा देने के बावजूद पार्टी की व्हिप का मजबूरन पालन करना पड़ेगा.
रोहतगी ने आगे कहा कि विधायकों को अयोग्य घोषित करना संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत संक्षिप्त-सुनवाई है, जबकि इस्तीफ अलग है, उसे स्वीकार किया जाना सिर्फ एक मानक पर आधारित है कि वह स्वैच्छिक है या नहीं. रोहतगी ने कहा कि बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर षड्यंत्र रचा है इसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है.
विधायकों का पक्ष रखते हुए रोहतगी ने कहा कि अयोग्यता कार्यवाही कुछ नहीं है बल्कि विधायकों के इस्तीफा मामले पर टाल-मटोल करना है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस-जद(एस) की सरकार अल्पमत में रह गई है, विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार नहीं कर हमें विश्वासमत के दौरान सरकार के पक्ष में वोट डालने के लिए बाध्य करने का प्रयास कर रहे हैं.
विधायकों की तरफ से कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने हमें अयोग्य ठहराने के लिए इस्तीफे को लटकाए रखा, अयोग्य ठहराए जाने से बचने के लिए इस्तीफा देने में कुछ भी गलत नहीं है.
विधायकों की दलील सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विधायकों के शीर्ष अदालत पहुंचने तक विधानसभा अध्यक्ष ने कोई कार्रवाई नहीं की.
इसके बाद कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पक्ष रखा.
सिंघवी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष से तय समय सीमा में विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने को नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि कृपया पुराने आदेश में संशोधन करें, विधानसभा अध्यक्ष अयोग्यता और इस्तीफा दोनों पर कल तक फैसला कर लेंगे.
सिंघवी ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष ने अभी तक विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता पर फैसला नहीं लिया है, न्यायालय के पास दंडित करने का पूरा अधिकार है.
वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि बागी विधायक एकजुट होकर सरकार को अस्थिर करना चाहते हैं, वे सभी साथ में होटल गए थे.
कुमारस्वामी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को तय समय में फैसला करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, न्यायालय के पास विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता पर यथास्थिति बनाए रखने का अंतरिम आदेश देने का अधिकार नहीं है
धवन ने कहा कि यह विधानसभा अध्यक्ष बनाम न्यायालय का मामला नहीं है, यह मुख्यमंत्री और एक ऐसे व्यक्ति के बीच का मामला है जो सरकार गिराकर खुद मुख्यमंत्री बनना चाहता है, न्यायालय को विधायकों की अर्जी सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं करनी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि जब इस्तीफे की प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ हो तब न्यायालय विधानसभा अध्यक्ष को शाम छह बजे तक इस पर फैसला करने का निर्देश नहीं दे सकता, न्यायालय फैसला होने के बाद ही हस्तक्षेप कर सकता है, विधानसभा अध्यक्ष के फैसला लेने से पहले न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है.
अंत में विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस्तीफा देने के विधायकों के मौलिक अधिकार का कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष ने उल्लंघन किया है, वह गलत मंशा से और पक्षपातपूर्ण तरीके से व्यवहर कर रहे हैं.