निर्भया के दोषियों को फांसी के लिए नई तारीख जारी कर सकती है निचली आदालत : सुप्रीम कोर्ट


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सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट करते हुए कहा कि निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी दिए जाने की मांग करने वाली केंद्र की याचिका का लंबित रहना दोषियों को फांसी के लिए निचली अदालत द्वारा नई तारीख जारी करने की राह में आड़े नहीं आएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि दोषियों की कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित नहीं है और उनमें से तीन की दया याचिकाएं राष्ट्रपति द्वारा खारिज की जा चुकी हैं जबकि चौथे दोषी ने अब तक दया याचिका देने का विकल्प नहीं चुना है, ऐसे में निचली अदालत फांसी के लिए नई तारीख जारी कर सकती है.

जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका 17 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दी. इससे पहले हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की फांसी पर रोक को निरस्त करने से इनकार कर दिया था.

पीठ ने कहा, ”हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इन याचिकाओं के लंबित रहने को निचली अदालत द्वारा इस विषय पर अपने अनुसार विचार करने से एक रूकावट के तौर पर नहीं लिया जाए.”

कोर्ट ने मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज किए जाने के खिलाफ दायर उसकी याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने उसे फांसी दिए जाने का रास्ता साफ कर दिया है.

केंद्र की ओर से पेश होते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि निचली अदालत ने 13 फरवरी को तिहाड़ अधिकारियों की उस याचिका को स्थगित कर दिया था जिसके जरिए 17 फरवरी को दोषियों को फांसी देने की मांग की गई थी. अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया था कि विनय शर्मा की दया याचिका को खारिज करने को चुनौती देने वाली याचिका हाई कोर्ट में लंबित है.

पीठ ने कहा कि शर्मा की याचिका आज खारिज हो गई और निचली अदालत इस विषय में आगे बढ़ सकती है.

मेहता ने कहा कि तीन दोषियों, मुकेश कुमार सिंह (32), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) ने दया याचिकाएं दायर कर अपने संवैधानिक विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है.

उन्होंने कहा कि चौथे दोषी पवन गुप्ता (25) ने अब तक सुधारात्मक याचिका या दया याचिका दायर नहीं की है.

मेहता ने कहा कि उन्हें आशंका है कि 17 फरवरी को जब यह विषय निचली अदालत के समक्ष आएगा, तब सुप्रीम कोर्ट में एक अन्य रिट याचिका दायर कर दी जाएगी.

इस पर पीठ ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी को राहत पाने के विकल्पों का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता.

मेहता ने कहा, ”अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) एक बहुमूल्य अधिकार है लेकिन इसे न्याय को परास्त करने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दिया जा सकता.”

पीठ ने कहा कि चूंकि निचली अदालत ने मामले को 17 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है, इसलिए यह बेहतर होगा कि कोर्ट के नतीजे का इंतजार करें.

सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को आगे की सुनवाई के लिए 20 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक के लिए चारों दोषियों, मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार को फांसी देने पर रोक लगा दी थी. ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि चारों दोषियों को एक साथ फांसी दी जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति के समक्ष शर्मा की मेडिकल रिपोर्ट सहित सारी सामग्री पेश की गई थी और उन्होंने दया याचिका खारिज करते समय सारे तथ्यों पर विचार किया था.

कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनजर शर्मा की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि उसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है और कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार उसकी सेहत ठीक है.


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