नोटबंदी की वजह से दस गुना बढ़ी टैक्स फाइल ना करने वालों की संख्या


budget unlikely to increase tax exemption limit

 

केंद्र की मोदी सरकार नोटबंदी पर जब भी घेरी जाती है तो वह टैक्स जमा करने वाले लोगों की बढ़ी हुई संख्या का हवाला देकर नोटबंदी की उपयोगिता साबित करने का प्रयास करती है.

सरकार ने कई बार बताया है कि नोटबंदी के बाद उसने 1.06 करोड़ नए करदाताओं को टैक्स व्यवस्था से जोड़ा है. यह आंकड़ा नोटबंदी के पहले वाले वित्त वर्ष के मुकाबले 25 फीसदी अधिक है. इसलिए सरकार के अनुसार नोटबंदी एक अच्छा कदम था.

यह बात दीगर है कि सरकार ने नोटबंदी के जो लक्ष्य शुरुआत में बताए थे, उनके ऊपर बात करने से सरकार आज भी बचती है. इन प्रारंभिक लक्ष्यों में कालेधन और आतंकवाद की फंडिंग समाप्त करना प्रमुख था. इन सबके ऊपर बात करने की जगह इस मुद्दे पर सरकार हमेशा बढ़े हुए टैक्स करदाताओं की बात करना ही पसंद करती है.

लेकिन इस बीच कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं, जिन्होंने सरकार के सामने कर अनुपालन के सहारे नोटबंदी के औचित्य को सही सिद्ध करना मुश्किल कर दिया है.

दरअसल अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने इनकम टैक्स विभाग से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर बताया है कि जिस वित्तीय वर्ष में नोटबंदी हुई, उसमें टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों की संख्या पिछले वित्तीय वर्ष से दस गुना अधिक बढ़ गई.

वित्तीय वर्ष 2015-16 में अगर टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों की संख्या 8.56 लाख थी, तो 2016-17 में यह 88.04 लाख हो गई. टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों में वे लोग शामिल होते हैं, जो पिछले वर्षों में तो टैक्स फाइल करते आए होते हैं लेकिन वर्तमान वर्ष में ऐसा करने के लिए जवाबदेह होने के बाद भी टैक्स फाइल नहीं करते. इन लोगों में उन करदाताओं को शामिल नहीं किया जाता है, जिनकी मृत्यु हो चुकी होती है या फिर जिनका पैन कार्ड जब्त हो चुका होता है.

वित्त वर्ष 2016-17 में टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों की संख्या में हुई यह तीव्र बढ़ोतरी पिछले दो दशकों में सर्वाधिक है. वित्त वर्ष 2013-14 से ही टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों की संख्या में लगातार कमी आ रही थी. वित्तीय वर्ष 2012-13 में जहां इनकी संख्या 37.5 लाख थी, वहीं 2013-14 में यह 27.08 लाख हो गई. अगले वित्त वर्ष में यह और घटकर 16.32 लाख हो गई. वित्त वर्ष 2015-16 में यह मात्र 8.56 लाख रह गई.

टैक्स अधिकारियों की मानें तो वित्त वर्ष 2016-17 में टैक्स फाइल करना बंद कर देने वालों की संख्या में तीव्र वृद्धि का प्रमुख कारण नोटबंदी हो सकती है. अधिकारियों का कहना है कि नोटबंदी की वजह से सिस्टम से 86 फीसदी नकदी एक झटके से हटा दी गई. इससे रोजगार, आय और आर्थिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा. इससे लोग मजबूर हुए कि वे टैक्स फाइल करना बंद कर दें.


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