नए टैक्स सिस्टम से घरेलू बचत पर पड़ सकता है प्रतिकूल प्रभाव


acute liquidity squeeze chocking sales in rural markets says hul

 

सरकार की बिना छूट और कटौती वाली नई वैकल्पिक कर व्यवस्था से देश में बचत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. विशेषज्ञों ने यह बात कही है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के बजट में व्यक्तिगत आयकर दाताओं को छूट और कटौती के लाभ के साथ मौजूदा कर योजना में बने रहने या कर की कम दर के साथ नई सरलीकृत कर व्यवस्था अपनाने का विकल्प दिया है. लेकिन नई कर व्यवस्था में कोई छूट और कटौती का लाभ नहीं मिलेगा.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफ) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में मांग में गिरावट के कारण अर्थव्यवस्था में नरमी को देखते हुए सरकार ने प्रत्यक्ष कर दरों (व्यक्तिगत और कंपनी कर दोनों में) में कटौती कर प्रोत्साहन देने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि इससे मांग को गति देने में मामूली फर्क पड़ सकता है लेकिन दूसरी तरफ इसका घरेलू बचत पर असर पड़ सकता है क्योंकि कर दरों में कटौती का लाभ तभी मिलेगा जब छूट और कटौती नहीं ली जाएगी.

विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह साल से अधिक समय से देश की बचत दर में उल्लेखनीय रूप से कमी आ रही है.

वर्ष 2012 में बचत दर 36 प्रतिशत थी लेकिन वह अब घटकर 30 प्रतिशत पर आ गयी है.

इस बारे में प्रख्यात अर्थशास्त्री योगेन्द्र अलघ ने कहा, ‘इस प्रस्ताव से निश्चित रूप से बचत प्रोत्साहन प्रभावित होगा.’

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर रोहित आजाद ने कहा कि इस प्रस्ताव के कारण बचत दर कम हो सकती है लेकिन नरमी के दौरान यह कोई बुरी बात नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन खराब बात यह है कि इस प्रस्ताव के जरिये ऐसी धारणा सृजित की जा रही है कि शुद्ध रूप से मध्य और निम्न मध्यम वर्ग के लिये कर बोझ कम होगा. लेकिन इसकी संभावना नहीं है.’

वित्त मंत्रालय का मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाता नई कर व्यवस्था अपना सकते हैं.

नए कर प्रस्ताव के तहत 2.5 लाख रुपये सालाना आय वाले को कोई कर नहीं देना है. वहीं 2.5 से 5 लाख रुपये तक की आय पर कर की दर पूर्व की तरह पांच प्रतिशत होग

पांच से 7.5 लाख रुपये सालाना आय वालों के लिए कर की दर 10 प्रतिशत, 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगेगा.


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