ईवीएम गड़बड़ी: वीवीपैट मिलान की चुकानी पड़ सकती है भारी कीमत
49MA चुनाव संचालन नियमावली की एक धारा है. वैसे तो ये 2013 से ही अस्तित्व में है, लेकिन बहुत कम लोग ही इससे परिचित होंगे. इसका कड़वा अनुभव जिन लोगों को हुआ है उसमें से एक नाम एबिन बाबू का है.
एबिन बाबू की कहानी हम आपको बाद में बताते हैं. पहले इस डरावने नियम के बारे में जानते हैं. नियम 49MA के मुताबिक, अगर कोई मतदाता शिकायत करता है कि उसकी वोट वीवीपैट से मिलान नहीं कर रही है तो उसे टेस्ट मिलान का एक मौका दिया जाता है. लेकिन ये मौका यूं ही नहीं मिलता. इसके परिणाम शिकायतकर्ता को मुश्किल में डाल सकते हैं.
दरअसल शिकायत के बाद अगर टेस्ट वोट में आपकी बात सच साबित नहीं हुई तो आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा. जांच के दौरान अगर आप दोषी पाए गए तो आपको एक हजार रुपये जुर्माने के साथ छह महीने तक की जेल हो सकती है.
चेन्नई के रहने वाले एबिन बाबू इस कड़वे अनुभव से गुजर चुके हैं. अभी तीसरे चरण में तिरुवंतपुरम् लोकसभा सीट पर हुए मतदान के दौरान एबिन ने अपनी वोट वीवीपैट से ना मिलने की शिकायत की.
एबिन की शिकायत के बाद मतदान रोक दिया गया. और एबिन को टेस्ट वोट करने के लिए पूछा गया. उन्हें नियमों और इसके परिणामों का हवाला दिया गया. इन नियमों वाले घोषणापत्र पर उनके हस्ताक्षर ले लिए गए.
इसके बाद बूथ पर मौजूद सभी दलों के एजेंट और पीठासीन अधिकारी की मौजूदगी में एबिन को टेस्ट वोट करने के लिए कहा गया. एबिन ने उस पार्टी की पहचान वाला बटन दबाया. इस बार वोट सही जगह गई. एबिन को पुलिस हिरासत में लिया गया और उन्हें कई घंटे पुलिस स्टेशन में गुजारने पड़े.
एबिन पर आईपीसी की धारा 177 (गलत सूचना देना), जन प्रतिनिधित्व कानून के सेक्शन 26 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया.
चेन्नई के ही एक दूसरे बूथ पर प्रीजा शिजू की शिकायत है कि उनकी वोट भी गलत जगह गई. लेकिन प्रीजा ने इसके लिए शिकायत दर्ज नहीं कराई.
प्रीजा का कहना है कि उन्होंने कांग्रेस को वोट दिया, लेकिन वीवीपैट पर दिखा कि उनकी वोट बीजेपी के खाते में गई है. प्रीजा ने जब चुनाव अधिकारियों से इसका शिकायत की तो उन्हें टेस्ट वोट के लिए पूछा गया. प्रीजा ने जब 49MA के बारे में पढ़ा तो उन्होंने टेस्ट वोट ना करने का फैसला किया.
दरअसल जब कोई मतदाता ईवीएम मशीन पर अपने चहेते उम्मीदवार के चुनाव चिह्न वाला बटन दबाता है तो उसे वीवीपैट पर उसी निशान वाली स्लिप दिखाई देती है. ये स्लिप सात सेकेंड के लिए दिखती है. वोटों की गिनती के समय इस स्लिप का मिलान ईवीएम में पड़ी वोट से किया जाता है.
प्रीजा वाले मामले में सफाई देते हुए चुनाव अधिकारी के वासुकी, ईवीएम टेम्परिंग की संभावना को पूरी तरह से नकार देते हैं. उनके मुताबिक, “इस मामले में जब 77वां वोट पड़ा तब बैलेट यूनिट जाम हो गई थी और गलत सूचना दे रही थी. नियमों के मुताबिक ऐसी परिस्थितियों में मशीन को बदल दिया जाना चाहिए.”
कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला कहते हैं, “उस मतदाता को दंडित करना गलत है जो गलती की शिकायत करता है. हम इस तरह की सोच से सहमत नहीं हैं.”
लेकिन कुछ लोगों का इस बारे में अलग मत है. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी का कहना है कि इस तरह की झूठी शिकायतों को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
कुरैशी ने कहा, “झूठी शिकायत के चलते मतदान में रुकावट आती है, लाइन में लगे लोगों को इंतजार करना पड़ता है. इस तरह के आक्षेपों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. ये कोई बच्चों का खेल नहीं है जिसका मजाक उड़ाया जाए.”
तीसरे चरण के मतदान के दौरान पूरे केरल में मशीनों की खराबी और अन्य तरह की शिकायतें सामने आईं. अलपुज्झा जिले में ट्रायल के दौरान सभी वोट सिर्फ बीजेपी के खाते में दर्ज हो रहीं थी. यहां कांग्रेस और वाम दलों ने विरोध जताया.
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इसको लेकर चुनाव आयोग की आलोचना भी की.