ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी घटने से मुश्किल में ट्रैक्टर उद्योग


Tractor industry in trouble after loss of income in rural areas

  Sonalika

वित्तीय क्षेत्र की वैश्विक विश्लेषक कंपनी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में ट्रैक्टर की बिक्री में पांच से सात फीसदी की कमी का अनुमान लगाया है. क्रिसिल की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में आय में आई कमी, ग्रामीण इंन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्च में आए ठहराव, रिटेलर के पास पहले से फंसे माल(उच्च चैनल इन्वेटरी) बिक्री में कमी की प्रमुख वजह है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रैक्टर उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों की आमदनी और मॉनसून से जुड़ा हुआ है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के मध्य में फसल का उत्पादन स्थिर बना रहा और कम दाम मिलने की वजह से खेती से होनेवाली आय में कमी आई है. पिछले दो वित्त वर्षों में ग्रामीण मजदूरी में केवल तीन से चार फीसदी की वृद्धि हुई है.

इसके साथ ही ग्रामीण इंन्फ्रास्ट्रक्चर में खर्च में आई कमी की वजह से गैर कृषि क्षेत्र में भी ट्रैक्टर की मांग घटी है. पहली तिमाही में ट्रैक्टर के निर्यात में 28 फीसदी की कमी आई है. 10 फीसदी ट्रैक्टर का निर्यात होता है.

क्रिसिल रेटिंग के गौतम शाही ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सामान्य मॉनसून के साथ-साथ बजट में कृषि और अन्य गतिविधियों के लिए की गई घोषणा, कुछ राज्यों में कृषि लोन माफी, खरीफ फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि के साथ ग्रामीण विकास को लेकर शुरू किए गए कार्यक्रमों से किसानों की आमदनी और ट्रैक्टर की मांग बढ़ने की संभावना है.

भारत में टैक्टर की उपलब्धता प्रति हेक्टेयर 1.5 हॉर्स पावर(एचपी) है जबकि विकासशील देशों में प्रति हेक्टेयर छह से सात एचपी और विकसित देशों में यह तीन से चार एचपी है. क्रिसिल के एक अधिकारी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंत में ट्रैक्टर के उत्पादन में 21फीसदी की कमी दर्ज की गई है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में रिकॉर्ड 8.78 लाख ट्रैक्टर की बिक्री हुई थी.


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