राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने की टीएमसी, सीपीआई और राकंपा की गुहार


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सीपीआई, तृणमूल कांग्रेस और राकंपा ने चुनाव आयोग से ‘राष्ट्रीय दल’ का उनका दर्जा बरकरार रखने का अनुरोध करते हुए कहा है कि उन्हें आगामी चुनावों में प्रदर्शन बेहतर करने का एक मौका दिया जाए.

आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इन दलों का प्रदर्शन राष्ट्रीय दल की मान्यता के अनुरूप नहीं रहने का हवाला देते हुए इन्हें नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न इनका राष्ट्रीय दल का दर्जा खत्म कर दिया जाए.

तीनों दलों ने आयोग के समक्ष पेश अपने जवाब में दलील दी है कि पुराने राजनीतिक दल होने के साथ साथ, राष्ट्रीय राजनीति में उनका प्रमुख योगदान रहा है. इसलिए राष्ट्रीय दल के रूप में उनकी मान्यता का आकलन पिछले चुनावी प्रदर्शन के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए.

सूत्रों के अनुसार सीपीआई ने अपने जवाब में दलील दी है कि वह कांग्रेस के बाद देश की सबसे पुरानी पार्टी है और यह लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल भी रही है.

पार्टी ने कहा कि हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में सीपीआई का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा लेकिन विभिन्न राज्यों में वामदल की सरकार रहने और संविधान को मजबूत बनाने में पार्टी की अहम भूमिका को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस ने दलील दी है कि उसे 2016 में राष्ट्रीय दल का दर्जा दिया गया था और इसे कम से कम 2019 तक जारी रखना चाहिए.

तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई और राकंपा के अलावा बसपा के ऊपर भी राष्ट्रीय दल का दर्जा समाप्त होने की तलवार लटक रही थी, लेकिन लोकसभा की दस और कुछ विधानसभा सीटें जीतने के कारण वह इस संकट से फिलहाल बच गई है.

चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के तहत किसी राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा तब मिलता है जब उसके उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में कम से कम छह प्रतिशत मत प्राप्त करें या चार सदस्य चुने जाए. इसके अलावा विधानसभा चुनावों में उन्हें कम से कम चार या इससे अधिक राज्यों में छह प्रतिशत मत प्राप्त होना चाहिए.

इन मानकों के तहत कांग्रेस, बीजेपी, बसपा, सीपीआई, सीपीएम, तृणमूल कांग्रेस और राकंपा को राष्ट्रीय दल का दर्जा प्राप्त है.


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