राज्यसभा में तीन तलाक बिल पारित हुआ


citizenship amendment bill also passed in rajyasabha

 

राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया है. वोटिंग के बाद बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में 84 वोट पड़े. लोकसभा में पहले ही यह बिल पास हो चुका था. सरकार को राज्यसभा में तीसरी कोशिश में यह कामयाबी मिली.

26 जुलाई को लोकसभा में कुछ बदलाव के बाद यह बिल राज्यसभा में पारित करने के लिए लाया गया था. हालांकि लोकसभा में बिल पारित होने का बाद राज्यसभा में अटक गया था. इसके बाद केंद्र सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आई थी.

इस बिल के प्रावधान तीन तलाक के मामले को सिविल मामलों की श्रेणी से निकाल कर आपराधिक क्षेणी में डालते हैं.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक संबंधी विधेयक मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से लाया गया है और उसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.

प्रसाद ने कहा, “इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे या वोट बैंक की राजनीति के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए. यह मानवता का सवाल है. यह महिलाओं को न्याय दिलाने के मकसद से, उनकी गरिमा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए पेश किया गया है. इससे लैंगिक गरिमा एवं समानता भी सुनिश्चित होगी.”

वहीं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कानून न लाया जाए जो राजनीति से प्रेरित हो और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए. उन्होंने आगे कहा कि सरकार चूहे मारने की दवाई के प्रयोग की तरह इस कानून को पहले मुसलमानों पर ही प्रयोग कर दिया.

उन्होंने आगे कहा कि इस बिल का असली मकसद मुस्लिम परिवार को तोड़ना है. सरकार मुस्लिम महिलाओं के नाम पर अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही है. आजाद ने कहा कि न रहे बांस, न बजेगी बांसुरी, अब इस बिल के जरिए सरकार घर के चिराग से ही अपने ही घर में आग लगावाना चाहती है.

इस विधेयक को लोकसभा में पिछले हफ्ते ही पारित किया जा चुका है. चर्चा के दौरान बिल का विरोध करते हुए टीमएसी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, आरजेडी, एनसीपी, बसपा, डीएमके, पीडीपी ने बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांगी की थी. जेडीयू और एआईएडीएमके ने इसके विरोध में सदन से वॉकआउट किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “तीन तलाक बिल का पास होना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है. तुष्टिकरण के नाम पर देश की करोड़ों माताओं-बहनों को उनके अधिकार से वंचित रखने का पाप किया गया. मुझे इस बात का गर्व है कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक देने का गौरव हमारी सरकार को प्राप्त हुआ.”

क्या कहता है तीन तलाक कानून

– तीन तलाक देने वाले पति को अधिकतम तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है.

– तीन तलाक कानून के तहत पीड़ित महिला या उसके परिवार का कोई सदस्य एफआईआर करा सकता है.

– एफआईआर दर्ज होने पर बिना वारंट के गिरफ्तारी होगी और पुलिस भी इसमें जमानत नहीं दे पाएगी. हालांकि मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष जानने के बाद जमानत दे सकते हैं.

– फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा.

– तीन तलाक कानून के तहत पति को पत्नी को गुजारा देना होगा.

– मजिस्ट्रेट को सुलह कराकर शादी बराकार रखने का अधिकार.


Big News