ट्रंप को शायद इस बार फायदा नहीं हो श्वेत अस्मिता की जुमलेबाजी से


trump's appeal to white supremacy is not going to reap results says poll

 

प्रवासी विरोधी जुमलेबाजी और श्वेत मतदाताओं की समस्याओं पर केंद्रित चुनाव प्रचार से डोनल्ड ट्रंप 2016 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीते थे. लेकिन रायटर्स के एक पोल से पता चला है कि आगामी 2020 अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप की श्वेत अस्मिता की राजनीति उन्हें ज्यादा फायदा नहीं पहुंचाने वाली है.

रायटर्स द्वारा जुलाई में किए गए पोल से पता चला है कि वे लोग जो नस्लभेद को नकारते हैं, वे इस बार ज्यादा संख्या में मतदान करने वाले हैं. वहीं 2016 में उन लोगों ने अधिक मतदान किया था, जो अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के लोगों के खिलाफ धारणा रखते थे.

रायटर्स के पोल से पता चला है कि इस बार ऐसे 82 प्रतिशत लोगों ने मतदान करने में रुचि दिखाई है, जो इस बात में विश्वास रखते हैं श्वेत और अश्वेत बराबर हैं अथवा अश्वेत लोग श्वेत लोगों से बेहतर हैं. ये हिस्सा उन लोगों से सात प्रतिशत अधिक है जो इस बात में विश्वास रखते हैं कि श्वेत लोग अश्वेतों से बेहतर हैं.

2016 में ट्रंप ने उन श्वेत मतदाताओं को ध्यान में रखकर चुनाव प्रचार किया था, जो इस बात से डरे हुए थे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था उन्हें पीछे छोड़ती जा रही है और वे प्रवासियों पर रोक लगाना चाहते थे. ट्रंप ने तब प्रवासियों को ‘हत्यारे’ और ‘बलात्कारी’ कहा था. साल भर पहले ही ट्रंप ने गैर-कानूनी प्रवासियों को आक्रमणकारी कहा.

ट्रंप का मानना है कि उनकी जुमलेबाजी लोगों को बांटने की जगह बांधने का काम करती है.

रायटर्स के इस पोल पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप के चुनाव प्रचार के एक प्रवक्ता ने कहा कि ट्रंप को समाज के हर तबके का साथ मिल रहा है और दिन प्रतिदिन यह बढ़ता जा रहा है. वहीं व्हाइट हाउस ने इस ओर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

इस पोल से पता चला है कि 29 प्रतिशत श्वेत ऐसा सोचते हैं कि अमेरिका को अपनी श्वेत यूरोपीय पहचान बचानी चाहिए. 2017 के मुकाबले ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या में सात प्रतिशत की कमी आई है.

इसी प्रकार ऐसा मानने वाले श्वेत लोगों की हिस्सेदारी में 2017 के मुकाबले छह प्रतिशत की कमी आई है, जो यह मानते हैं कि अमेरिका में श्वेत लोग खतरे में हैं. 2017 में ऐसा मानने वाले श्वेत 17 प्रतिशत थे.

इथाका कॉलेज में अमेरिकी नस्ल संबंधों की जानकार पाओला आयोनाइड कहती हैं कि पोल उनके उस अध्ययन पर मुहर लगाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका में नस्लवादी तनाव बराक ओबामा के दौर में सबसे अधिक था.

उन्होंने कहा, “आज अमेरिका के कुछ श्वेत खुद को उस तरह से खतरे में महसूस नहीं कर रहे हैं, जैसा वे 2016 में कर रहे थे. ट्रंप के सत्ता में आ जाने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनकी श्वेत अस्मिता को वापस से वो स्थान मिल गया है जो ओबामा के दौर में खो गया था.”


Big News