सीएबी के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने


tussle between government and opposition over favour and against on citizenship amendment bill

 

धार्मिक आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने से संबंधित नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष आमने सामने हैं.

एक ओर विपक्षी दल धार्मिक आधार पर नागरिकता देने को संविधान विरोधी बता रहे हैं, वहीं सत्तापक्ष इस मामले में विपक्ष पर पाकिस्तान की भाषा बोलने का आरोप लगा रहे हैं.

राज्यसभा में कांग्रेस के असम से सदस्य रिपुन बोरा ने कहा कि सीएबी संविधान की मूल भावना के विरुद्ध होने के कारण असंवैधानिक है. इससे देश की सुरक्षा को भी खतरा है. इस बात से खुफिया एजेंसियों ने भी आगाह किया है. द्रमुक सहित विपक्षी दलों के अन्य सदस्यों ने भी राज्यसभा में इस विधेयक का विरोध करने की तैयारी कर ली है.

लोकसभा में सोमवार को यह विधेयक पारित हो चुका है.

बीजेपी के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने कहा कि विपक्ष जो भाषा बोल रहा है वही भाषा पाकिस्तान बोल रहा है. सिन्हा ने कहा, ”इस विषय में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों और पाकिस्तान की भाषा में कोई अंतर नहीं है.”

उन्होंने कहा, ”प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही कह चुके हैं कि विपक्ष, मोदी का विरोध करे, बीजेपी की सरकार का विरोध करे लेकिन मोदी और सरकार का विरोध करते करते भारत विरोधी न बन जाए. सीएबी के संशोधन पर विपक्ष आज जिस कुतर्क का इस्तेमाल कर रहा है, उसमें और इमरान खान के कुतर्क में कोई बुनियादी अंतर नहीं है.”

रिपुन बोरा ने कहा, ”सिर्फ हिंदू बोलने से काम नहीं चलेगा. मैं भी हिंदू हूं, हमारे असम में भी हिंदू इसका विरोध कर रहे हैं. हमें सबसे पहले देश के संविधान और देश की सुरक्षा को देखना होगा.”

बारेा ने कहा, ”संसद की संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में खुफिया एजेंसी रॉ के संयुक्त निदेशक ने क्या बोला. समिति की रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 20 को देखिये, इसमें उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में इससे देश को खतरा पैदा होगा. इसे ध्यान में रखना होगा.”

इससे मुस्लिम समुदाय के लोगों को अहित नहीं होने की सरकार की दलील को खारिज करते हुए बोरा ने कहा, ”जैसे पड़ोसी देशों से भागकर हिंदू आए हैं उसी तरह मुसलमान भी आए हैं. इसी तर्ज पर श्रीलंका के तमिल शरणार्थी भी तो हिंदू हैं उनको नागरिकता देने में क्या दिक्कत है.”

द्रमुक के तिरुचि शिवा ने कहा, ”हम इस विधेयक का राज्यसभा में विरोध करेंगे. मैंने स्वयं धार्मिक आधार पर भेदभाव को उजागर करने वाले दो संशोधन प्रस्ताव दिये हैं.” उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकती है तो श्रीलंका से आए शरणार्थियों को इससे अलग कैसे रखा जा सकता है. हमारी चिंता श्रीलंका से आए एक लाख से अधिक शरणार्थियों की है जो 30 साल से यहां रह रहे हैं.

केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस विधेयक को अमानवीय अत्याचार से मानवीय न्याय द्वारा मुक्ति दिलाने वाला बताते हुए कहा, ”जो लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें अल्पसंख्यकों के सामाजिक आर्थिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कैसे होती है, यह भारत से सीखना चाहिए.” नकवी ने भी विधेयक को संविधान विरोधी बताने की विपक्ष की दलीलों को पाकिस्तान की भाषा बताते हुए कहा कि यही दलील तो पाकिस्तान दे रहा है.


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