राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों का इस्तीफ़ा
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) से स्वतंत्र रूप से जुड़े दो सदस्यों ने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है. जिन दो सदस्यों ने इस्तीफ़ा दिया है, उनमें संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन और संस्थान की गैर-सरकारी सदस्य जेवी मीनाक्षी हैं. अब आयोग में केवल मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ही बचे हैं.
इन दोनों सदस्यों को आयोग का सदस्य जून 2017 में बनाया गया था. दि टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक़, इनका कार्यकाल 2020 तक था.
माना जा रहा है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने बीते साल एक रोजगार सर्वेक्षण को जारी करने की मंजूरी दी थी. साल 2017-18 का यह रोजगार सर्वेक्षण नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने तैयार किया था. लेकिन सरकार ने अब तक इस सर्वेक्षण के आंकड़ों को जारी नहीं किया है. दोनों सदस्यों के इस्तीफे की मुख्य वजह यही मानी जा रही है.
देश में रोजगार की तस्वीर और सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़ों को लेकर मोदी सरकार आलोचना का सामना करती रही है.
बीते साल में मोदी सरकार एनएसएसओ (NSSO) और इसके श्रम ब्यूरो के आंकड़ों को जारी करने से इनकार करती रही है. इसके बजाय वह कर्मचारी प्रोविडेंट फंड संगठन (ईपीएफ), पेंशन कोष नियामक व विकास प्राधिकार (पीएफआरडीए) और कर्मचारी राज्य निवेश कारपोरेशन (ईएसआईसी) से लिए गए पेरोल आंकड़ों का इस्तेमाल कर यह दिखाने का प्रयास करती रही है कि देश में पैदा होने वाले रोजगार की संख्या काफी बढ़ रही है.
कुछ दिन पहले सरकार ने आंकड़ें जारी कर यह बताया कि सितंबर 2017 से नवम्बर 2018 के बीच देश के संगठित क्षेत्र में 1 करोड़ 80 लाख रोजगार पैदा हुए.
हालांकि बहुत सी रिपोर्टों और अध्ययनों में सरकार के इन दावों का खंडन किया गया है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, साल 2018 में भारत की बेरोजगारी दर 3.5 फीसदी रिकॉर्ड की गई है और साल 2019 में यह और बढ़ सकती है. संगठन का मानना है कि साल 2019 में भारत में लगभग 1 करोड़ 90 लाख लोग बेरोजगार रहेंगे.
वहीं, सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) ने कहा कि दिसंबर 2018 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़कर 7.4 फीसदी हो गई है. सेंटर से जुड़े महेश व्यास बताते हैं कि यह बेरोजगारी दर पिछले 15 महीनों में सबसे ज्यादा है.
वैसे ये पहली बार नहीं है कि सरकार राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की रिपोर्टों के प्रति रक्षात्मक हुआ है. पिछले वर्ष नवम्बर में, सरकार ने बैक सीरीज के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से संबंधित आंकड़े जारी किए थे. माना गया था कि इन आंकड़ों को जारी करने से पहले भी एनएससी से नहीं पूछा गया था. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने तब कहा था कि सरकार ने ऐसा यह दिखाने के लिए किया था कि उनके शासन काल में आर्थिक वृद्धि दर यूपीए के कार्यकाल से कहीं बेहतर रही है.
वास्तव में सरकार ने यह आंकड़ें राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के उस बात के जवाब में जारी किए थे जिसमें उसने कहा था कि साल 2010-11 में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के कार्यकला में देश की आर्थिक वृद्धि दर दोहरे अंकों में थी.