मुजफ्फरपुर में पहचान और चुनावी वादों के बीच दो निषादों की जंग
प्रखर समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नाडिस की कर्मभूमि रहे मुजफ्फरपुर में लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला दो निषादों के बीच है.
मुजफ्फरपुर सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार और वर्तमान सांसद अजय निषाद और महागठबंधन से वीआईपी उम्मीदवार राजभूषण चौधरी के बीच है. इस सीट पर 17.3 लाख मतदाता हैं जिसमें सवर्ण मतदाता साढ़े तीन लाख, यादव पौने दो लाख, मुस्लिम दो लाख और वैश्य सवा दो लाख हैं. इनके अलावा यहां अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भी अच्छी खासी संख्या है.
अजय निषाद के खाते में पिछले पांच साल में ऐसी कोई चर्चित उपलब्धि नहीं आई है, इसलिये हर चुनावी सभा में वह अपनी जीत की बात कम नरेंद्र मोदी को मजबूत करने की बात अधिक करते हैं.
वीआईपी प्रत्याशी राजभूषण चौधरी के लिए सबसे बड़ी चुनौती पहचान की है. यूं तो अजय निषाद वैशाली के रहने वाले हैं. लेकिन, चार बार मुजफ्फरपुर के सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय कैप्टन जयनारायण निषाद के पुत्र होने के कारण उन्हें साल 2014 में बाहरी होने के बाद भी वैसी परेशानी नहीं हुई, जिस तरह की परेशानी राजभूषण झेल रहे हैं.
चुनावी नारों और वादों से इतर रोजमर्रा की परेशानियों से जूझ रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी का ख्वाब दिखाया जा रहा है जबकि धरातल पर जर्जर सड़क और जाम से बावस्ता होना पड़ रहा . फोर लेन रोड का काम अधूरा है. बागमती परियोजना भी मझधार में अटकी है. बच्चों के खेल-कूद के लिए अच्छी व्यवस्था नहीं है. शाही लीची के प्रसंस्करण की बात बयानों तक सिमटी है. लहठी उद्योग जयपुरिया लहठी के सामने दम तोड़ने लगा है. शिक्षा व्यवस्था की स्थिति खराब है और शहर के कई स्कूलों की जमीन अतिक्रमण एवं अवैध कब्जे से जूझ रही है.
कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के सोनबरसा चौक पर सैलून चलाने वाले ब्रजेश ठाकुर कहते हैं कि पहली बार उम्मीदवार से अधिक प्रधानमंत्री की चर्चा है. उम्मीदवार से कोई मतलब नहीं रह गया है. यहां के सांसद तो कभी क्षेत्र में भी नहीं आते.
खबरा गांव के रामेश्वर ओझा का कहना है कि किसी भी गठबंधन का उम्मीदवार ठीक नहीं है. महागठबंधन के उम्मीदवार का तो नाम ही नहीं सुना और एनडीए के कैंडिडेट एवं वर्तमान सांसद का कोई काम ही नहीं सुना .
झापहा के संतोष यादव कहते हैं कि इस बार यादव वोटरों का एकमुश्त वोट किसी एक पार्टी को मिलने से रहा.