मोदी की चुप्पी से मिलती है हिंसक समूहों को प्रेरणा: UN


UN: divisive policies' in India could hurt economic growth

  United Nations

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने भारत को चेतावनी दी है कि देश की ‘विभाजक नीतियां’ उसके आर्थिक विकास को कमजोर कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि संकीर्ण राजनीतिक हित पहले से ही विषम समाज में वंचित और कमजोर समुदाय के लोगों को लगातार हाशिए पर धकेल रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचले ने यह बात जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की सालाना रिपोर्ट में कही है. उन्होंने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को भारत में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर मुसलमानों और दलित समुदायों के खिलाफ बढ़ते अन्याय और शोषण की खबरें लगातार मिल रही हैं.

हालांकि बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र की इस चेतावनी को सिरे से खारिज करते हुए निराधार बताया है. उनका मानना है कि यह आरोप भारत की छवि को खराब करने के लिए लगाए गए हैं. उनका कहना था कि मुसलमानों के रहने के लिए भारत दुनिया का सबसे अच्छा देश है.

संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट एमनेस्टी इंटरनेशनल की उस रिपोर्ट के एक दिन बाद आई है जिसमें कहा गया था कि भारत में कुल हेट क्राइम (शोषण, बलात्कार और हत्या) के मामलों में से 65 फीसदी मामलों में दलित समुदाय के लोग निशाना बनते हैं.

एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि लगातार तीसरे साल बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश हेट क्राइम के मामले में पहले स्थान पर रहा. यहां हेट क्राइम  के 57 मामले दर्ज किए गए. वहीं बीजेपी शासित एक अन्य प्रदेश गुजरात में 22 ऐसे मामले दर्ज किए गए जबकि राजस्थान हेट क्राइम के 18 मामलों के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

मोदी सरकार के कार्यकाल में दलित और मुस्लिम समुदायों पर होने वाले संगठित हमले तेजी से बढ़े हैं. अनेक मनावाधिकार संगठनों ने यह बताया है कि गो-रक्षा के नाम पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को देश भर में निशाना बना गया है.

संगठनों ने यह भी कहा है कि ऐसे मौकों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी ने हिंसक और अराजक समूहों को प्रेरणा दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने जहां ऐसी घटनाओं की निंदा की भी है, वहां उन्होंने अल्पसंख्यकों और दलितों पर हुए हमलों को महज कानून और व्यवस्था की समस्या मानकर संबोधित किया है.

 


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