‘भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा रोकने में नाकाम रही सरकार’


united states report on religious freedom highlights mob attacks on minorities in india

 

अमेरिकी सरकार की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भारत में अल्पसंख्यक समुदाय पर भीड़ द्वारा हुए हमलों की बात उठाई गई है. रिपोर्ट में अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए हमलों में सरकार की निष्क्रियता का मुद्दा भी उठाया गया है.

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर एक वार्षिक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में भारत का जिक्र करते हुए भीड़ की हिंसा, धर्मांतरण, अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति और सरकारी नीतियों पर बात की गई है.

रिपोर्ट जारी होने के बाद अपने भाषण में उन्होंने धर्म के नाम पर हुए अत्याचार के उदाहरण देते हुए पाकिस्तान में आसिया बीबी, रूस में जेहोवाह विटनेस, म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों का जिक्र किया. पोम्पिओ ने आसिया बीबी की रिहाई के बाद पाकिस्तान से कहा है कि ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए और अधिक कदम उठाए.

भारत पर लिखे गए अध्याय में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने फैसलों और कदम से मुस्लिम संस्थाओं और मान्यताओं को प्रभावित करने की कोशिश की है.

द हिंदू की खबर के मुताबिक रिपोर्ट कहती है,”सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगातार मुस्लिम शैक्षिणक  संस्थानों को दिए गए अल्पसंख्यक दर्जे को चुनौती दी है. अल्पसंख्यक दर्जे के तहत इन संस्थानों को पाठ्यक्रम और नियुक्ति संबंधित फैसलों में स्वतंत्रता दी जाती है. विभिन्न  जगहों के लगातार नाम  बदलने के लिए प्रस्ताव लाए जा रहे हैं. इसमें सबसे प्रमुख है इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करना. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि भारतीय इतिहात से मुस्लिमों के योगदान को हटाने के लिए ये कोशिशें की जा रही हैं. इसके जरिए स्थिति को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है.”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है,”धर्म की वजह से हत्याएं, हिंसा, दंगे, भेदभाव, तोड़-फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं. धर्मांतरण और निजी धार्मिक मान्यताएं मानने से रोकने की घटनाएं देखी गई हैं.”
रिपोर्ट में इन घटनाओं के संदर्भ में प्रशासन की नाकामियों का भी जिक्र किया गया है. रिपोर्ट कहती है, गोरक्षा के नाम पर हमलों को अंजाम देने वाले आरोपियों पर प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई नहीं की. इन घटनाओं में लोगों की हत्या, भीड़ द्वारा हिंसा और डराने धमकाने के मामले शामिल हैं.”

गैर-सरकारी संगठनों की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि “भीड़ की हिंसा का शिकार हुए अल्पसंख्यक, हाशिये के समुदायों  के मामले में सरकार की ओर से कई बार गंभीर कार्रवाई नहीं देखी गई. भारतीय जनता पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भड़काने वाले बयान दिए हैं. कुछ गैर-सरकारी संगठनों के मुताबिक सरकार की ओर से अक्सर इन घटनाओं में दोषी व्यक्तियों को बचाने की कोशिश की गई.”

बीते साल नवंबर तक इस तरह के कुल 18 हमले हुए जिनमें आठ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी जिक्र है. इसमें कहा गया है कि कोर्ट से ओर से सख्त निर्देश हैं कि गायों के नाम पर किसी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं होगी और सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए.

यह रिपोर्ट अमेरीकी दूतावासों को सरकारी अधिकारियों, मीडिया, पत्रकारों, एनजीओ आदि से मिली जानकारी के आधार पर तैयार की गई है. विदेश विभाग ने अपनी वेबसाइट पर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्रोत के माध्यम से दी गई जानकारी अनिवार्य रूप से अमेरिकी सरकार के विचार नहीं है.


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