कर्ज ना लौटा पाने वाले किसानों की संपत्ति नीलाम करेगी यूपी सरकार
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के करीब 170 किसान अपनी संपत्ति नीलाम किए जाने के संकट का सामना कर रहे हैं. साथ ही जेल जाने के खतरे से भी सहमे हुए हैं. ऐसा सहकारी बैंक से लिए गए कर्ज को ना लौटा पाने के चलते हुआ है. बताया जा रहा है कि सरकार के इस कदम के बाद बहुत सारे किसान परिवार बर्बाद हो जाएंगे.
दरअसल चुनाव के दौरान पार्टियों की ओर से कृषि कर्ज माफ करने की घोषणा की गई थी. जिसके चलते किसानों ने कर्ज अदा करने का प्रयास नहीं किया. उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि सरकार उनका कर्ज माफ कर देगी. लेकिन सरकारी कर्ज माफी कई नियम और शर्तों के तहत और मामूली तौर पर की गई, जिससे ये किसान लाभ पाने से वंचित रह गए.
अब योगी सरकार बकाया वसूलने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है. सरकार ने इसके लिए बाकायदा टीमें गठित की हैं. कर्ज वसूलने के लिए डिफॉल्टर घोषित किए गए किसानों की संपत्ति की नीलामी की जाएगी, और अगर इसके बाद भी किसानों के कर्ज की पूर्ति नहीं हो सकी तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.
टेलीग्राफ के मुताबिक करीब 100 किसानों को सात करोड़ की राशि जून के अंत तक जमा करनी है. और बाकी के 70 किसानों को चार करोड़ की राशि जुलाई के अंत तक लौटानी है.
बैंक सूत्रों के मुताबिक चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर और महोबा जिलों के करीब 2,341 किसानों की देयता 60.63 करोड़ तक पहुंच गई थी. इनमें से ज्यादातर ने नोटिस मिलने के बाद अपना कर्ज चुकाने के लिए अपने खेत बेच दिए हैं.
लेकिन करीब 170 किसान ऐसे हैं जिनके पास कर्ज चुकाए जाने लायक संपत्ति नहीं हैं. अपने थोड़े से खेत बेचकर भी वे कर्ज नहीं चुका सकते.
सहकारी बैंक के सहायक आयुक्त विनय कुमार मिश्रा ने बताया कि चित्रकूट में लोन डिफॉल्टरों की जमीन की जब्ती शुरू हो चुकी है और जल्दी ही इसकी नीलामी प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
किसानों के मुताबिक 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं ने कर्ज माफी का वादा किया था. नीलामी का संकट झेल रहे एक किसान सुखपाल सिंह ने बताया, “उन्होंने कहा था कि सारा कर्ज माफ कर दिया जाएगा, इसलिए हमने भुगतान शुरू नहीं किया, इससे कर्ज बढ़ता चला गया.”
राज्य सरकार ने सरकारी क्षेत्र की बैंकों से लिए एक लाख तक के कर्ज माफ कर दिए, लेकिन इस कर्ज माफी योजना में उन किसानों को शामिल नहीं किया गया जिन्होंने सहकारी बैंकों से कर्ज लिया था.
टेलीग्राफ से बात करते हुए एक बैंक अधिकारी ने कहा, “हमने किसानों को कर्ज लौटाने का पर्याप्त समय दिया, उन्होंने कोई प्रयास नहीं किया, उनको लगता था कि कर्ज माफ हो जाएगा, हमें बैंक को चलाने के लिए पैसा वापस चाहिए.”