संगठित हिंसा पर योगी आदित्यनाथ के दावों में कितनी सच्चाई?


Uttar Pradesh: Recommendation of responsibility for police officers in case of Mob lining

 

उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही हिंसा और अपराध की घटनाओं के बीच कुछ दिनों पहले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर दावा किया कि उनके अब तक के शासन काल में उत्तर प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ है.

योगी ने अपने ट्वीट में लिखा कि हमने संगठित किस्म के अपराध पर एक हद तक काबू पा लिया है. हमने कानून के राज को मजबूत बनाया है और पारिवारिक झगड़े या निजी दुश्मनों के कुछ मामलों को छोड़ दें तो फिर पूरे राज्य में लोग अब सुरक्षित हैं.

बता दें कि बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था और मार्च, 2019 में उनके दो साल का कार्यकाल पूरा हो जाएगा.

बहरहाल, सीएम योगी का यह दावा तथ्यों से काफी परे नज़र आता है. सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2017 में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 195 घटनाएं सामने आई हैं. इस हिंसा के दौरान जहां 44 लोगों की मौत हो गई वहीं 542 लोग घायल हुए. पिछले साल 11 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने बताया था कि साल 2014 के मुकाबले साल 2017 में लगभग 32 फीसदी अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं थी और इस दौरान लगभग 44 लोगों की मौत हुई थी.

कुछ प्रमुख आपराधिक घटनाएं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में बुलंदशहर से लेकर सहारनपुर और कासगंज जैसी कई जगहों पर सांप्रदायिक हिंसा और अपराध की घटनाएं सामने आई हैं.

बुलंदशहर हिंसा
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर में कथित गोकशी को लेकर हिंसा भड़की थी. स्याना कोतवाली के चिंगरावठी चौकी क्षेत्र में हुए बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और युवक सुमित की गोली लगने से मौत हो गई थी. बता दें कि पुलिस अब तक बुलंदशहर हिंसा के मामले में कई आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.

गाज़ीपुर हिंसा
29 दिसंबर 2018 उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से लौट रहे वाहनों पर प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया था. इस पथराव के दौरान सुरेश प्रताप सिंह नाम के एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई थी. वत्स यूपी पुलिस में बतौर हेड कांन्सटेबल कार्यरत थे .

कासगंज हिंसा
26 जनवरी 2018 कासगंज में गणतंत्र दिवस के मौक़े पर निकाली जा रही तिरंगा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा शुरू तो मामूली कहासुनी पर हुई, लेकिन बात इतनी बढ़ गई के इस विवाद का अंत चंदन गुप्ता नामक युवक की मौत से हुई. बता दें कि चंदन की मौत इस विवाद के दौरान चली गोली से हुई थी . चंदन की मौत की लपटों से करीब तीन दिन पुरा कस्बा हिंसा की आग से जलता रहा. इस हिंसा पर काबू पाने के लिए उत्तर प्रदेश की पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी.

आगरा हिंसा
18 दिसंबर 2018 आगरा जिले में हाईस्कूल की एक 15 वर्षीय छात्रा को बदमाशों ने घर के पास पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी. घटना के बाद छात्रा को गंभीर हालत के चलते नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया था. 80 फीसदी झुलस चुकी छात्रा दो दिनों तक जिंदगी और मौत से लड़ती रही और आखिरकार 20 दिसंबर को अस्पताल में ही उसने दम तोड़ दिया .

विवेक तिवारी एनकाउंटर मामला
28 सितंबर 2018 राजधानी लखनऊ में पुलिस की कार्रवाई पर तब सवाल उठे जब एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम रहे विवेक तिवारी नाम के शख्स की कथित एनकाउंटर में मौत हो गई थी. बाद में पुलिस की तरफ से दिए गए बयान में ये कहा गया कि कॉन्सटेबल प्रशांत चौधरी ने कथित तौर पर विवेक तिवारी द्वारा गाड़ी न रोकने के चलते उन पर गोली चलाई.

इस तरह, सरकारी आंकड़ों पर नजर डाले तो यह साफ दिखाई देता है कि उत्तर प्रदेश में आपराधिक हिंसक घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है. ये आंकड़ें यूपी की कानून व्यवस्था के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए दावों पर भी सवालिया निशान खड़े करते हैं.


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