सिविल सेवा में हिंदी माध्यम के छात्रों में गिरावट


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  PTI

सिविल सेवा भर्ती परीक्षा के लिए हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले प्रतियोगियों की संख्या लगातार घटती जा रही है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (एलबीएनएसएए) में प्रशिक्षण ले रहे 370 चयनित छात्रों में से मात्र 8 छात्र ही ऐसे हैं जिन्होंने हिंदी माध्यम में परीक्षा दी थी. जबकि साल 2013  में प्रशिक्षण लेने वाले 202 छात्रों में 48 छात्रों ने हिन्दी माध्यम में परीक्षा दी थी.

साल 2013 के बाद से न सिर्फ हिंदी माध्यम से परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों की संख्या घटी है, बल्कि हिन्दी माध्यम से पढ़े चयनित उम्मीदवारों की संख्या में भी गिरावट आई है.

 क्या कहते हैं आंकड़े

हिंदी माध्यम से पढ़े सिविल सेवा परीक्षा देने वाले छात्रों के ग्राफ पर नज़र डालें तो साल 2013 में इनकी संख्या 17 प्रतिशत थी, लेकिन साल 2018 में यह घटकर 2.16 प्रतिशत रह गई है. वहीं, साल 2014 में 2.11 फीसदी, 2015 में 4.28, 2016 में 3.45 और 2017 में यह संख्य़ा 4.06 फीसदी थी.

जाहिर है कि इन सभी सालों में हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा परीक्षा देने वालों की संख्या में साल 2013  की तुलना में कमी आई है.  रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2011 में सीसैट लागू होने और  मुख्य परीक्षा के प्रारूप में किए गए बदलाव के बाद हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा पास करने वाले उम्मीदवारों के अनुपात में काफी कमी आई है.  यह बदलाव यूपीए सरकार के कार्यकाल में लागू किए गए थे.  साल 2011 में हुए इस बदलाव से पहले हिंदी माध्यम के प्रतिभागियों की संख्या अब से बेहतर हुआ करती थी. साल 2005 में हिंदी माध्यम के परीक्षार्थीओं का आंकड़ा 12 प्रतिशत, 2006 में 15 और 2008 में 14 प्रतिशत से ज्यादा था.

बीती 31 दिसंबर सोमवार के यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया जब लोक सभा में शून्यकाल के दौरान बीजू जनता दल के नेता भृर्तहरि माहताब ने यह मुद्दा उठाया. सीसैट लागू होने के बाद हिन्दी माध्यम से सिविल सेवा पास करने वाले उम्मीदवारों के अनुपात में कमी आने पर उन्होंने चिंता जताई और यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सीसैट लागू होने के बाद प्रभावित छात्रों को अतिरिक्त मौके दिए जाने की मांग भी की .


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