अमेरिका में महंगे हो सकते हैं भारतीय उत्पाद


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अमेरिका निर्यातित भारतीय उत्पादों पर मिल रही ‘कर छूट’ को खत्म करने की तैयारी कर रहा है. भारत के 5.6 अरब डॉलर के निर्यात पर ‘जीरो टैरिफ’ का लाभ मिल रहा है. डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से यह अमेरिका की ओर से लिया गया अबतक का सबसे बड़ा नकारात्मक फैसला हो सकता है.  

अमेरिका के इस कदम से भारत की ओर से किया जाने वाला निर्यात प्रभावित होगा. इसके साथ ही भारत में निर्माण को धक्का लग सकता है. खास तौर पर ज्वेलरी के कारोबार से जुड़े ज्यादातर छोटे निर्यातकों को नुकसान होगा.

जेनेरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफेरेंस(जीएसपी) के तहत 1970 से भारत के करीब 2000 उत्पाद कर मुक्त रहा है.

इससे पहले एक नवंबर 2018 को अमेरिका ने भारत के 70 मिलियन डॉलर का कारोबार करने वाली 50 उत्पादों को जीएसपी से बाहर कर चुका है. हालात भारत के अनुकूल नहीं रहे तो पूरे कार्यक्रम से भारत को अलग किया जा सकता है. या कुछ और भारतीय उत्पादों को जीएसपी से अलग किया जा सकता है.

‘मेक इन इंडिया’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक प्रमुख योजना रही है. इसके तहत भारत में निर्माण से देश में रोजगार पैदा करने का दावा किया गया था.

जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ‘मेक अमेरिका ग्रेट अमेरिका’ कैंपेन के तहत अमेरिकी कंपनियों को वापस अपने देश में कारोबार शुरू करने की अपील करते रहे हैं.

हाल में भारत सरकार की ओर से उठाए गए कदम की वजह से अमेरिका की ओर से बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

भारत सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है. इससे वालमार्ट की स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट और अमेजन के लिए सस्ता सामान बेचना मुश्किल हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक साल 2027 के अंत तक भारत में ऑनलाइन कारोबार 200 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.

इससे पहले मास्टरकार्ड और वीजा पर देश के भीतर डाटाबेस रखने को लेकर दबाव बनाया गया था.

हाल ही में आयातित इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए गए अतिरिक्त कर से दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर खींचतान बढ़ी है.

द मिंट ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अमेरिका भारत के जीएसपी लाभार्थी की श्रेणी में रखने पर विचार कर रहा है और दो सप्ताह में इस मामले में घोषणा हो सकती है.

अमेरिका के वाणिज्य सचिव विलबुर रोस अगले सप्ताह दिल्ली आ रहे हैं. वह ई-कामर्स कंपनियों के लिए लाई गई नई नीति और डाटा लोकलाइजेशन को लेकर अमेरिका का पक्ष रख सकती हैं. अमेरिका पहले भी ऐसे प्रतिबंधों का विरोध करता रहा है.  

अमेज़न और वॉलमार्ट को हालिया प्रतिबंध के बाद अपने व्यावसायिक नीतियां बदलनी पड़ी हैं. जिसके बाद अमेरिकी सरकार इन कंपनियों के हितों के लिए दबाव बना रही हैं.

अधिकारियों के मुताबिक अमेरिका में बनने वाले मेडिकल उपकरण की भारत में बिक्री के लिए अधिकतम मूल्य तय किए जाने लेकर अब भी गतिरोध बना हुआ है.

जानकार मानते हैं कि अमेरिका की ओर से फ्री ट्रेड की मांग भी उठाई जा सकती है. ऐसे में भारत के लिए मुश्किल बढ़ सकती है. हालांकि भारत और अमेरिका की ओर से अब तक इसके बारे आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है.


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