दाल पर एमएसपी कम करने के लिए अमेरिका बना रहा है दबाव
भारत में दालों पर दिए जा रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य के विरोध में अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में कहा है कि भारत की ओर से दिया जा रहा एमएसपी अधिकतम सीमा से अधिक है. यूरोपीय यूनियन, न्यूजीलैंड, यूक्रेन और पारुग्वे ने भी भारत के विरोध में अपना मत दिया है.
जेनेवा में कृषि समिति की बैठक में भारत ने अमेरिका और कनाडा की ओर से की गई एमएसपी की गणना को गलत बताया है. भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि समर्थन मूल्य का कार्यक्रम देश के 1,950 लाख लोगों को पोषण सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है.
एमएसपी के अंतर्गत तूअर, छोले, काली मटर, मूंग और मसूर की दाल आती है.
अंग्रेजी अखबार बिजनेस लाइन में छपी खबर के मुताबिक जेनेवा में व्यापार से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक कनाडा और अमेरिका ने भारत की ओर से दाल का एमएसपी 31-85 फीसदी के बीच रखने का आरोप लगाया है, जो कि कुल उत्पादन की अधिकतम सीमा 10 फीसदी से काफी अधिक है. जबकि भारत ने इसे केवल 1.5 फीसदी बताया है.
विकासशील देश लगातार खाद्य पदार्थों पर अनुदान पर लगाए गए प्रतिबंधों का विरोध करते रहे हैं. हालांकि डब्लूटीओ की ओर से इसपर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सका है. भारत को एमएसपी खत्म करने के लिए दबाव बनाया जा सकता है और ऐसा नहीं होने की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता है.
भारत को इससे पहले गेहूं, चावल, चीनी और कॉटन के एमएसपी पर ‘काउंटर नोटिफीकेशन’ जारी किया जा चुका है. अमेरिका और कनाडा ने आरोप लगाया है कि भारत की ओर से एमएसपी की गणना डब्लूटीओ के नियमों के मुताबिक नहीं है. जारी काउंटर नोटिफीकेशन में एमएसपी खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है. आरोप में कहा गया है कि भारत की ओर से रुपये में समर्थन मूल्य बताने के बजाय डॉलर में बताया जाता है. इसमें कहा गया है कि भारत की ओर से पांच प्रकार के दालों को एक साथ जोड़कर दिखाया गया है.
भारत की ओर से कहा गया है कि अमेरिका और कनाडा की ओर से जारी काउंटर नोटिफीकेशन अधूरा है और गलत सूचनाओं पर आधारित है. दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को केवल 1,950 लाख लोगों की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लाया गया है और इससे मुश्किल से गरीबों की जरूरतें पूरी हो पाती हैं.
भारत सरकार की ओर से दी गई सफाई में कहा गया है कि सरकार की ओर से की गई खरीद को ही ‘इलिजिबल प्रोडक्शन’ की श्रेणी में रख दिया गया है.
मुद्रा के संबंध में लगाए गए आरोप के जवाब में भारत ने कहा है कि डब्लूटीओ के नियमों में इसको लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है और भारत सहित कई सदस्य देश यूएस डॉलर में रिपोर्ट करते रहे हैं. अगर शिकायतकर्ता देश भारत की ओर से दी गई सफाई से संतुष्ट नहीं हो पाते हैं तो मामले को निपटान पैनल में ले जाया जाएगा.