मध्य प्रदेश: रासुका को लेकर सरकार कड़े करेगी नियम
मध्य प्रदेश में गोहत्या पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई के हालिया मामलों में राज्य सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच इस कानून के भविष्य में प्रयोग को लेकर नियम कड़े करने की बात सामने आई है.
नियमों के मुताबिक सरकार हर तीन महीने में जिला मजिस्ट्रेट को एक अधिसूचना जारी करती है. इसमें सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा करने वाले लोगों को हिरासत में लेने के निर्देश दिए जाते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस एक उच्च अधिकारी के हवाले से लिखता है कि अब राज्य गृह मंत्रालय इस प्रकार के फैसलों की जांच करेगा और देखेगा कि इनके प्रयोग में कहीं गलती तो नहीं हुई है.
खबरों के मुताबिक अब राज्य में हर जिला कलेक्टर को ऐसे मामलों के बारे में गृह
मंत्रालय को रिपोर्ट भेजनी होगी.
मौजूदा नियमों के मुताबिक रासुका लगाने का फैसला जिला मजिस्ट्रेट लेता है, जो कि
पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा पर आधारित होता है. अभी तक गो-हत्या के मामलों में इनका
प्रयोग आम नहीं था. ये अक्सर आदतन अपराधियों के खिलाफ प्रयोग किया जाता रहता है.
हालांकि अभी तक हालिया मामलों में रासुका के वापस लिए जाने के बारे में कोई
फैसला नहीं लिया गया है.
इससे पहले कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने गोहत्या के मामले में तीन लोगों के खिलाफ रासुका लगाए जाने
को एकपक्षीय कार्रवाई बताया था. उन्होंने मुख्यमंत्री
कमलनाथ से इस घटना की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की थी.
कमलनाथ को लिखे
पत्र में मसूद ने रासुका लगाने वाले खंडवा जिलाधिकारी को
तत्काल हटाने की मांग की थी. पत्र में उन्होंने लिखा, ‘‘उस दिन की गौकशी
की घटना में प्रशासन द्वारा एक पक्ष को सुना गया. आरोपी के
परिजनों का पक्ष नहीं सुना जाना एकपक्षीय कार्रवाई है.’’
राज्य सरकार ने खंडवा जिले में गोहत्या के आरोपी तीन लोगों
के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की थी. फिलहाल अदालत
ने तीनों को खंडवा जिला जेल भेज दिया है.
इनके अलावा, मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले
में अधिकारियों ने गायों के कथित अवैध परिवहन और सार्वजनिक शांति भंग करने के लिए दो
लोगों के खिलाफ भी रासुका के तहत मामला दर्ज किया है.