जातियों के भीतर और उनके बीच आय में भारी अंतर


vast income inequalities among and within caste

 

केंद्र सरकार के गरीबी के नाम पर सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के बाद से गरीबी के सवाल पर चर्चा तेज हो गई है. गरीब कौन? इसी सवाल को तलाशते हुए इंडिया स्पेंड ने कुछ आंकड़ों का विश्लेषण किया है और एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है.

इस रिपोर्ट के मुताबिक कथित ऊंची जातियों (सवर्ण) के परिवार कमाई के मामले में राष्ट्रीय औसत से 47 फ़ीसदी ज्यादा कमाते हैं. लेकिन इन जातियों के भीतर में गजब की असमानता है. इन सवर्ण जातियों में ऊपर के 10 फ़ीसदी लोग 60 फ़ीसदी संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठे हैं.

रिपोर्ट ने ‘वर्ल्ड इनईक्वैलिटी डाटा बेस’ का हवाला देते हुए लिखा है कि इन अमीर सवर्णों में से ऊपर के एक फ़ीसदी ने पिछले दशक में अपनी कमाई में भारी इजाफा किया है. इस दौरान इनकी संपत्ति 16 फ़ीसदी अंक बढ़कर 29.4 फ़ीसदी पर पहुंच गई है.

‘भारत में वर्ग और जाति में संपत्ति असमानता’ नाम से छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में अलग-अलग जातियों और जातियों के भीतर बहुत अधिक असमानता है. इसमें कहा गया है कि ना सिर्फ आय में भारी अंतर है बल्कि ये अंतर लगातार बढ़ता भी जा रहा है.

इस दौरान ऊपर के 10 फ़ीसदी लोगों की आय में 24 फ़ीसदी अंको की वृद्धि हुई, इसके बाद ये बढ़कर 55 फ़ीसदी पर पहुंच गई.

जातियों के बीच असमानता

अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आय अगड़ी जातियों से बहुत कम है. इनकी आय राष्ट्रीय औसत 1,13222 से बहुत कम है. इस रिसर्च के मुताबिक एससी और एसटी की आय 21 फ़ीसदी हैं, जबकि ओबीसी की 34 फ़ीसदी है.

सवर्णों जातियों में ब्राहम्णों की आय 48 फ़ीसदी है जो कि राष्ट्रीय आय से अधिक है. गैर बाह्मण सवर्णों की आय 45 फ़ीसदी है. अगर जातियों की भीतर आय की असमानता की बात करें तो ये सबसे ज्यादा अगड़ी जातियों में ही है. आय में सबसे कम अंतर एससी के अंतर्गत आने वाली जातियों में है.

अगर वैश्विक तौर पर देखें तो भारत आय की सबसे अधिक असमानता वाले देशों में आता है. यहां ऊपर के 10 फ़ीसदी लोग 55 फ़ीसदी संपत्ति पर कब्जा किए हैं. जबकि 1980 में यह 31 फ़ीसदी ही था.

मुसलमान की औसत आय राष्ट्रीय औसत आय से कम है, लेकिन ये एससी एसटी और ओबीसी की तुलना में बेहतर है. इस रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे ग्रुप जो हिंदू या मुस्लिमों नहीं आते वे सबसे अमीर हैं.

हालांकि इनकी जनसंख्या बहुत कम है. ये पूरी जनसंख्या का सिर्फ 1.5 फ़ीसदी ही हैं.

एससी देश की जनसंख्या में 18 से 20 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. जबकि उनकी संपत्ति उनकी जनसंख्या से 11 फ़ीसदी कम है. जबकि एसटी की संपत्ति उनकी आबादी की तुलना में दो फ़ीसदी अंक कम है. देश की जनसंख्या में एसटी की हिस्सेदारी नौ फ़ीसदी है.

अगर इन वर्गों और जातियों के बीच आय में सुधार की बात करें तो इसमें भी सवर्ण जातियां सबसे आगे हैं. इस रिपोर्ट के मुताबिक निश्चित अवधि के दौरान सवर्ण वर्ग की आय में 18 फ़ीसदी का सुधार दर्ज किया गया है.


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