उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे…


veteran actress shaukat azmi life story

 

शौकत आखिर कैसे बनी शौकत कैफी आजमी ये सफर बेहद ही दिलचस्प है. एक दिन जब कैफी आजमी अपनी नज्म शौकत के वालिद साहब को सुना रहे थे तो वहीं शौकत भी उस नज्म को सुन रही थीं. शौकत को लगा कि ये नज्म कैफी ने उन के लिए ही कही हो. दोनों को ही ये अहसास हो गया था कि वे एक दूसरे से बेइंतेहा मोहब्बत करते है. पर कहते है ना बिना अड़चन एक सच्ची प्रेम कहानी कहां पूरी होती है. वैसे ही शौकत की मंगनी तय हो चुकी थी. कुछ दिनों बाद कैफी को शौकत के खत मिलने बंद हो गए तो उन्होनें अपने खून से शौकत को एक खत लिखा.

खत में लिखा, ‘ तुम्हारी मोहब्बत में आंसू बहाए थे, अब खून. आगे आगे देखिए होता है क्या. मेरी शौकत मुझे बताओ कि मेरा और मेरी मोहब्बत का क्या होगा.

तुम्हारा कैफी.. ‘

उस खत को लेकर शौकत अपने वालिद के पास पहुंची और उन्हें वो खत पढ़कर सुनाने लगीं. वे कहने लगे, देखो शौकत ये शायर लोग बहुत रोमांटिक होते हैं. असल जिंदागी और शायरी में फर्क होता है. कौन जाने ये खत बकरे के खून से लिखा हो. लेकिन शौकत को पता कि ये कैफी ने अपने ही खून से लिखा है. शौकत के पिता ने कहा मैं तुम्हें बंबई ले जाऊंगा, तुम्हें पता चल जाएगा कि वो कैसी जिंदगी जी रहा है. जब शौकत वहां गईं और उनके पिता ने उनसे फैसला जानना चाहा तो शौकत बोली कि उन्हें मंजूर है. फिर शौकत और कैफी का निकाह हो गया.

कैफी इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन यानी इप्टा और कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हुए थे. कैफी के साथ साथ शौकत भी उनके साथ जुड़ गईं. कुछ समय बाद शौकत और कैफी के घर मशहूर अभिनेत्री शाबाना आजमी ने जन्म लिया.

कुछ सालों तक कैफी और शौकत कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा दिए गए आवास में अपने बच्चो के साथ रहते थे. वहां अन्य परिवार भी रहते थे जो सभी कम्युनिस्ट थे और रंगमंच से जुड़े हुए थे. शौकात की दिलचस्पी रंगमंच में बढ़ रही थी. पैसों की तंगी के कारण  उनका झुकाव अभिनय की तरफ बढ़ रहा था. उनके दोनों बच्चों के स्कूल जाने की वजह से पैसे वास्तव में एक बड़ी समस्या बन रही थी.

आखिरकार, 1950 के दशक के मध्य में, कैफी ने एक लेखक और गीतकार के रूप में मुंबई फिल्म उद्योग में काम करना शुरू कर दिया. वह एक गीतकार के रूप में सफलता के साथ मिले और परिवार की किस्मत ने एक नया मोड़ लिया. कुछ वर्षों के भीतर, वे जुहू के पास मुम्बई के टौनी में एक अपार्टमेंट खरीदने में सक्षम हो गए. फिल्म उद्योग में उनके पति के सहयोग ने शौकत को फिल्मों में भी भूमिका दिलाने में मदद की.

शौकत ने कई बेजोड़ फिल्मों जैसे हीर-रांझा, हकीकत, उमराव जान, साथिया और बाजार में अपने अभिनय का लोहा मनवाया.


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