सत्रहवीं लोकसभा: संसद में दिखेंगे 300 नए चेहरे


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सत्रहवीं लोकसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है. बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन को एक बार फिर से बहुमत मिला है. ऐसे में पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने नवनिर्वाचित सांसदों के बारे में कुछ रोचक जानकारियां इकट्ठा की हैं.

इस बार 397 सांसद राष्ट्रीय पार्टियों से चुने गए हैं. इनमें से 303 बीजेपी, 52 कांग्रेस और 22 टीएमसी से चुने गए हैं. वहीं क्षेत्रीय पार्टियों पर अगर नजर डालें तो डीएमके के 23 और वाईएसआरसीपी के 22 सांसद चुने गए हैं.

सत्रहवीं लोकसभा में 300 सांसद ऐसे हैं, जो पहली बार चुने गए हैं. वहीं 197 सांसद ऐसे हैं, जिन्हें दोबारा चुना गया है. वहीं 45 सांसद ऐसे हैं जो इससे पहले कभी ना कभी सांसद रह चुके हैं. यह आंकड़ा सोलहवीं लोकसभा से ज्यादा भिन्न नहीं है. सोलहवीं लोकसभा में 314 सांसद पहली बार, 169 सांसद दोबारा और 58 सांसद ऐसे थे जो पहले कभी ना कभी सांसद रह चुके थे.

इस बार चुने गए सांसदों की उम्र पर अगर नजर डालें तो सांसदों की औसत उम्र 54 वर्ष है. वहीं इस बार 12 फीसदी सांसद ऐसे हैं, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है. सोलहवीं लोकसभा में ऐसे सांसद केवल आठ फीसदी थे. पहली लोकसभा में ऐसे सांसद 26 फीसदी थे. सत्रहवीं लोकसभा में महिला सांसद पुरुष सांसदों की तुलना में छह वर्ष छोटी हैं.

सांसदों की शैक्षिक योग्यता पर अगर नजर डालें तो सत्रहवीं लोकसभा का आंकड़ा काफी रोचक है. इस बार 27 फीसदी सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने केवल बारहवीं तक शिक्षा हासिल की है. वहीं सोलहवीं लोकसभा में ऐसे सांसद 20 फीसदी थे. इस बार 43 फीसदी सांसद स्नातक, 25 फीसदी परास्नातक और चार फीसदी डॉक्टरेट हैं. 1996 के बाद से सभी लोकसभाओं के कम से कम 75 फीसदी सांसद स्नातक रहे हैं.

महिला सांसदों की अगर बात करें तो इस बार संसद में इनकी संख्या 78 है. इस बार 716 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था. सोलहवीं लोकसभा में 62 महिला सांसद चुनी गई थीं. पहली लोकसभा से लेकर सत्रहवीं लोकसभा पर नजर डालें तो पता चलता है कि संसद में महिला सांसदों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ी है. पहली लोकसभा में जहां केवल पांच फीसदी महिला सांसद थीं, वहीं सत्रहवीं लोकसभा में 14 फीसदी महिला सांसद हैं. हलांकि, दूसरे कई देशों के मुकाबले यह बढ़ोतरी बहुत कम है. रवांडा में 61 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका में 43 फीसदी, ब्रिटेन में 32 फीसदी, अमेरिका में 24 फीसदी और बांग्लादेश में 21 फीसदी की गति से यह बढ़ोतरी हुई है.

सत्रहवीं लोकसभा में पहले के मुकाबले ऐसे सांसदों की संख्या ज्यादा है जिन्होंने खुद को सामाजिक और राजनीतिक कार्यों से जुड़ा हुआ बताया है. इस बार ऐसे सांसद 39 फीसदी हैं. 38 फीसदी सांसद ऐसे हैं जिन्होंने खुद को कृषि से जुड़ा बताया है, 23 फीसदी सांसद व्यावसायी हैं. सिर्फ चार फीसदी सांसद वकील हैं. दो फीसदी शिक्षक, तीन फीसदी कलाकार और चार फीसदी मेडिकल से जुड़े हैं. बहुत से सांसद ऐसे हैं, जो एक से अधिक पेशों में शामिल हैं.


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