एक भाषा जो विलुप्त होने से बचा ली गई
बीएचएस/यूएस
दुनिया की कई भाषाएं या विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं. कई भाषाओं को बोलने वाले तो बस गिने-चुने लोग ही बचे हैं. उनके बाद शायद ये भाषाएं भी ना रहें. हालांकि दुनिया भर में भाषाओं को बचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं.
कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जहां भाषाओं को ना सिर्फ बचा लिया गया है बल्कि उनको बोलने वालों की संख्या में इजाफा भी हुआ है.
यूं तो डेविड हांड अपने ऑफिस में चाइनीज और अंग्रेजी बोलते हैं, लेकिन उनके घर में भाषा के नियम कुछ अलग हैं. उनके घर में वेल्श बोली जाती है. आश्चर्य की बात ये हैं कि हांड के तीनों बच्चे कभी वेल्श नहीं गए, उन्होंने अब तक की अपनी पूरी जिंदगी एशिया में ही गुजारी है. ऐसे में सवाल उठता है कि वे वेल्श बोलने में कैसे माहिर हैं.
इसका जवाब ये है कि हंड ने बच्चों की देखरेख के लिए वेल्श बोलने वाली महिला को अपने परिवार के साथ रखा. और उनकी ऑस्ट्रेलियन मां अंग्रेजी बोलती थी. इस तरह से बच्चे वेल्श और अंग्रेजी बोलने वालों के बीच में पले-बढ़े.
बीते एक दशक पहले ये भाषा दूसरी भाषाओं की तरह विलुप्त होने की कगार पर थी. लेकिन इसे बचा लिया गया. और अब वेल्श में करीब पांच लाख लोग ये भाषा बोलते हैं. ये इसकी कुल जनसंख्या का करीब 19 फीसदी है.
भाषाओं को विलुप्त होने से बचाने के लिए ये एक अच्छा उदाहरण है. ये सब एक दिन में यूं ही नहीं हो गया. इसके पीछे तमाम प्रयास हैं. कई संगठनों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे बचाने का अभियान चलाया और परिणाम आज दुनिया के सामने हैं.
अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया भर में 592 ऐसी भाषाएं हैं जो कि खतरे में हैं. 640 भाषाएं विलुप्त हो सकती हैं और 537 भाषाएं गंभीर खतरे में हैं. इसके अलावा 577 भाषाएं ऐसी हैं जो मिटने की कगार पर हैं और 228 ऐसी भाषाएं तो विलुप्त ही हो चुकी हैं.
दुनियाभर में भाषाओं के प्रयोग पर नजर डालें तो दुनिया की 40 फीसदी जनसंख्या सिर्फ आठ भाषाएं बोलती है. सुपर लैंग्वेज कही जाने वाली ये भाषाएं करीब 283 करोड़ लोग की जबान हैं.
विश्व की ज्यादातर जनसंख्या एशिया या फिर यूरोप में जन्मी भाषा बोलते हैं. लेकिन इन सबके बीच जो ध्यान देने वाली बात है, वो ये है कि दुनिया की ज्यादातर भाषाएं अफ्रीका या फिर प्रशांत क्षेत्र में जन्मी हैं.
वेल्श भाषा को जिस तरह विलुप्त होने से बचा लिया गया वो दुनिया के सामने एक मिसाल है कि भाषाओं को बचाया जा सकता है और विविधता को बनाए रखा जा सकता है.
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