2014 के बाद नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में क्या बोला?


what has pm modi spoken about since 2014

 

बेहतरीन भाषण देने के कौशल को हमेशा से एक अच्छे नेता की विशेषता माना गया है. जवाहरलाल नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक विभिन्न प्रधानमंत्रियों की विरासत को उनके भाषणों ने परिभाषित किया है. बीते कुछ समय में पीएम मोदी ने अपनी वाक् कला के लिए वाहवाही प्राप्त की है. इसके विपरीत उनके पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह की आलोचना चुप रहने वाले पीएम के तौर पर होती रही है. लेकिन क्या इन लोकमतों में सच्चाई है?

वेबसाइट मिंट ने दोनों प्रधानमंत्रियों के दो हजार भाषणों का विश्लेषण करते हुए निष्कर्ष निकाला है कि नरेंद्र मोदी और मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में लगभग बराबर भाषण दिए. मनमोहन सिंह ने अपने दस साल के कार्यकाल में प्रति वर्ष 135 के औसत से 1,349 भाषण दिए. वहीं नरेंद्र मोदी ने पिछले पांच साल में प्रति वर्ष 143 के औसत से कुल 713 भाषण दिए. हालांकि, भाषणों की लंबाई के हिसाब से मोदी मनमोहन सिंह से आगे हैं. मोदी के भाषणों में औसत शब्द जहां 2,263 हैं, वहीं मनमोहन सिंह के भाषणों में इनकी संख्या 1,173 है.

इस विश्लेषण से पता चला कि नरेंद्र मोदी ने अधिकतर जहां ‘मैं’ शब्द का प्रयोग किया, वहीं मनमोहन सिंह ने ‘हम’ और ‘हमारे’ शब्दों का ज्यादा प्रयोग किया. प्रति दस हजार शब्दों पर मोदी ने ‘भारत’ शब्द का प्रयोग जहां 53.5 बार किया, वहीं मनमोहन के लिए यह 45.5 रहा.

मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान ‘विकास’ शब्द को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया था लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि मनमोहन सिंह ने अपने भाषणों में ‘विकास’ शब्द का प्रयोग मोदी से ज्यादा किया.

शब्दों के समूह को अगर देखें तो मनमोहन सिंह ने ‘जलवायु परिवर्तन’, ‘तकनीक’ और ‘विज्ञान’ का प्रयोग ज्यादा किया तो वहीं नरेंद्र मोदी ने ‘सालों पहले’, ‘पूरी दुनिया’ और ‘पहली बार’ का ज्यादातर प्रयोग किया.

मनमोहन सिंह के भाषणों में अर्थव्यवस्था की बात ज्यादा हुई, वहीं नरेंद्र मोदी ने किसानों और जवानों की बात की.


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