जानिए कौन सी पार्टी किस पार्टी के साथ गठबंधन तलाश रही है
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन दोबारा सत्ता में आने को लेकर आश्वस्त है मगर विपक्षी पार्टियां एक दूसरे के साथ मिलकर गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही हैं.
विपक्ष को उम्मीद है कि 23 मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही वो इस स्थिति में होंगे कि गठबंधन की बदौलत सरकार बना लेंगे.
17वीं लोकसभा के लिए सात चरणों में मतदान हो रहे हैं. पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को हुआ है और आखिरी चरण का मतदान 19 अप्रैल को होने वाला है. छह चरणों के मतदान हो चुके हैं. और इसके बाद जो स्थिति उभर कर सामने आ रही है, उसमें गठबंधन को लेकर अटकलें तेज होती जा रही हैं.
आइए एक नज़र डालते हैं गठबंधन की स्थिति में कौन-कौन सी पार्टियां किनके-किनके साथ होंगी.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए)
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
एनडीए का सबसे प्रमुख दल बीजेपी है. पांच साल पहले यानी 2014 के चुनाव में बीजेपी को 282 सीटें मिली थीं. संसद के निचले सदन,लोकसभा में 545 सीटें हैं जिनमें से दो को राष्ट्रपति द्वारा एंग्लो-इंडियन समुदाय से नामित किया जाता है.
ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक)
यह 2014 के आम चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. ये दक्षिण भारत में मोदी सरकार की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है. दक्षिण भारत बीजेपी का कमजोर इलाका माना जाता है. अन्नाद्रमुक ने यहां से पिछली बार लड़ी गई 40 सीटों में से 37 सीटों पर जीत हासिल की थी.
मगर 2016 में अपने करिश्माई नेता जे जयललिता की मृत्यु हो जाने से अन्नाद्रमुक के इस बार के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है.
शिवसेना
महाराष्ट्र में इस पार्टी का जनाधार है. बीजेपी के साथ शिवसेना का संबंध उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है. राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को प्राथमिकता देते हुए चुनाव से पहले ही शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन पर अपनी मुहर लगा दी थी. शिवसेना ने पिछले चुनाव में 18 सीटें जीती थीं. 16वीं लोकसभा में शिवसेना छठी सबसे बड़ी पार्टी थी.
लोक जनशक्ति पार्टी
पार्टी मुख्य रूप से दलितों का प्रतिनिधित्व करती है और पिछली बार 2014 में लड़ी गई सात सीटों में से छह पर जीत हासिल की थी.
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए या संप्रग)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
कांग्रेस 16वीं लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल थी. कांग्रेस को बीजेपी के हाथों 2014 के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ 44 सीटें मिली थीं. मगर इस बार कांग्रेस राहुल गांधी की अगुवाई में 100 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद कर रहा है.
तृणमूल कांग्रेस
इस पार्टी की नेता ममता बनर्जी हैं. ममता बनर्जी, क्षेत्रीय तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के नेता एन चंद्रबाबू नायडू के साथ, मोदी के सबसे बड़े आलोचकों में से एक हैं. दोनों मिलकर एक विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यह 34 सीटों के साथ 16वीं लोकसभा में चौथी सबसे बड़ी पार्टी थी. वहीं टीडीपी ने 2014 में 16 सीटें जीती थीं.
समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी)
इन पार्टियों ने भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश पर बारी- बारी से शासन किया है. इस बार चुनाव में दोनों ही पार्टियां साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं. उत्तर प्रदेश से और राज्यों के मुकाबले लोकसभा में सांसदों की संख्या सबसे ज्यादा है.
इस बार के चुनाव में इन दोनों पार्टियों को और बेहतर करने की उम्मीद है. राज्य में 80 निर्वाचन क्षेत्र हैं, और सपा ने पिछली बार पांच सीटें जीती थीं. वहीं बीएसपी को कोई भी सीट नहीं मिली थी.
बीजू जनता दल (बीजद)
ओडिशा की बीजू जनता दल इस समय 20 सीटों के साथ पांचवी सबसे बड़ी पार्टी है. बीजद एनडीए और यूपीए में किसके साथ जाएगी यह अभी साफ नहीं है. बीजद का कहना है कि वह चुनावी नतीजों के बाद इस पर विचार करेगी.
हालांकि मोदी बीजद को अपने साथ लेने की कवायद शुरू कर चुके हैं. उन्होंने हाल ही में ओडिशा में आए घातक चक्रवात के दौरान तैयारियों को लेकर बीजद प्रमुख नवीन पटनायक की प्रशंसा की है.
तेलंगाना राष्ट्र समिति
तेलंगाना राष्ट्र समिति 16वीं लोकसभा में आठवीं सबसे बड़ी पार्टी है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के पास 11 सीटें हैं. पार्टी बीजेपी और कांग्रेस को छोड़ क्षेत्रीय दलों के साथ गठजोड़ की संभावना तलाश रही है.