2014 के बीजेपी के वादे 2019 आते-आते बदल क्यों गए?


electoral bonds benefited bjp the most among all parties

 

साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में किसानों और युवाओं के लिए कई वादे किए थे. पांच साल पहले भ्रष्टाचार पर लगाम और विकास के मुद्दे पर बीजेपी सत्ता में आई. 2014 के लोकसभा चुनाव में 284 सीटों पर जीत के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.  1984 के बाद पहली बार किसी पार्टी को अपने दम पर बहुमत मिला था.

आंकड़े बताते हैं कि सरकार बनने के बाद बीजेपी अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है. विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए हिन्दू-मुस्लिम और पाकिस्तान का मुद्दा उछाल रही है. आइए देखते हैं बीजेपी अपने वादों को कहां तक पूरा कर पाई है.

रोजगार देने का वादा

रोजगार संबंधित कई आकड़ों को दबा दिया गया है. एनएसएसओ के लीक हुए एक डेटा ने तो मोदी जी के वादे की पोल खोलकर रख दी, जिसमें कहा गया था कि पिछले 45 साल में नौकरियों का सबसे बुरा हाल है.

किसानों की समस्या

.ब्लैक मार्केटिंग के लिए स्पेशल कोर्ट, नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट, फसलों का
उचित मूल्य, एमएसपी सहित कई वादे शामिल थे.

• कृषि मंत्री की तरफ से लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन साल में 36 हजार किसानों ने आत्महत्या कर ली.

• बेरोजगारी की तरह 2016 के बाद किसानों की आत्महत्या के आंकड़े भी अभी तक जारी नहीं किए गए हैं.

भ्रष्टाचार पर वार

.कालाधन वापस लेकर आएंगे और अगर ये वापस आ गया, तो हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए आ सकते हैं.

• लेकिन कालेधन की बजाय मोदी सरकार ने नोटबंदी कर अलग-अलग रंग के नोट लोगों को देकर रंगीन धन जरूर दे दिया.

राम मंदिर

2014 में भी अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वादा किया गया था. संवैधानिक तरीके से मंदिर बनाने की बात कही गई थी. लेकिन सरकार चार साल तक इस पर चुप्पी साधे रही.

गंगा सफाई 

उमा भारती ने कहा था कि 2018 तक अगर गंगा साफ नहीं हुई, तो वो जल समाधि ले लेंगी. लेकिन गंगा की हालत क्‍या है, ये सबको पता है. गंगा की साफ-सफाई आज भी लक्ष्‍य से कोसों दूर है.

कश्मीरी पंडितों की वापसी

• मेनिफेस्टो में लिखा गया था कि कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए कदम उठाए जाएंगे और पीओके रिफ्यूजियों को भी उनके हक मिलेंगे.
• कश्मीरी पंडितों का हाल अब भी वही है. आज भी कश्मीरी पंडित अपने घर छोड़कर कहीं और रहने को मजबूर हैं.

क्या भारत उत्पादन में सुपरपावर बना?

• सरकार ने वादा किया था कि मेक इन इंडिया की मदद से साल 2025 तक अर्थव्यवस्था में मैन्युफ़ैक्चरिंग का योगदान बढ़कर 25 प्रतिशत हो जाएगा.

• सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ मैन्युफ़ैक्चरिंग सेक्टर का जीडीपी में योगदान अब तक 15 फ़ीसदी के लगभग ही है.

एनपीए में कमी

• 2014 में बैंकों का कुल एनपीए 2.92 लाख करोड़ रुपये था.  सितंबर 2016 में सभी बैंको का कुल एनपीए 7.07 लाख करोड़ रुपये था. मार्च 2018 तक सभी बैंकों का कुल एनपीए 10 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया था. सितंबर 2018 तक यह थोड़ा घटकर 9.99 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा.

100 स्मार्ट सिटी

चार साल में केंद्र सरकार मात्र सात फीसदी राशि ही जारी कर पाई है. जून 2015 में शुरू
हुई 2,03,172 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए अब तक मात्र 14,882 करोड़ रुपये ही जारी हुए हैं.

33 फीसदी महिला आरक्षण

• 2014 में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में आई बीजेपी भी इसे भूलती चली गई जबकि ये उसके चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा था.


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