सुरक्षित सीटें मिलने से बसपा को हुआ फायदा: विश्लेषण


mayawati breaks up with sp announces to fight all election alone

 

2014 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के प्रदर्शन को आधार बनाकर लगाए गए अनुमान की तुलना में महागठबंधन का प्रदर्शन काफी खराब रहा है.  चुनाव में बसपा को सबसे अधिक फायदा हुआ है. वह 10 सीटें जीतने में कामयाब रही. पिछले चुनाव में उसे एक भी सीट नहीं मिल पाई थी. हालांकि महागठबंधन से सपा को कोई फायदा नहीं हुआ. जबकि कांग्रेस दो सीटों से एक पर सिमट गई.

फायदे के बावजूद बसपा ने महागठबंधन तोड़कर अपने लिए अलग राह चुन ली है.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने बयान जारी कर कहा है कि उत्तर प्रदेश में 11 सीटों के लिए होने वाले सभी उपचुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी. उनका कहना है कि सपा का मजबूत आधार माना जाने वाला यादव वोट उन्हें नहीं मिला. उनका तर्क है कि सपा के मजबूत उम्मीदवार भी चुनाव हार गए.

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने विश्लेषण में पाया कि बसपा और सपा दोनों अपने वोट शेयर बचा पाने में कामयाब नहीं रहे , बसपा को अपेक्षाकृत सुरक्षित सीटें मिलने की वजह से जीत मिली है.

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने 38 और सपा ने 37 सीटों चुनाव लड़ा. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने 80 और सपा ने 78 सीटों पर चुनाव लड़ा था. 2014 के मुकाबले इस बार बसपा और सपा के वोट शेयर में 2.8 फीसदी मिडियन कमी आई है.

जबकि सपा द्वारा लड़े गए चुनाव में 2.1 फीसदी मीडियन कमी आई. औसत के लिए मिडियन के इस्तेमाल से अधिकतम अंतर वाली सीटों के वैल्यू को कम कर सकते हैं.

सीटों के बंटवारे में बसपा को वैसी सीटें मिलीं जहां बसपा और सपा का कुल वोट शेयर बीजेपी से अधिक था.

बसपा ने जिन 38 सीटों पर चुनाव लड़ा उनमें सपा और बसपा का कुल वोट शेयर बीजेपी से 23 सीटों(60.5%) पर अधिक था. जबकि जिन 37 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा उनमें केवल 18 सीटों(48.6%) पर सपा-बसपा के कुल वोट अधिक थे.

बीजेपी 23 लोकसभा सीट(39 फीसदी) जीतने में कामयाब रही जहां 2014 के चुनाव में बीजेपी की तुलना में सपा-बसपा के वोट अधिक थे.

साल 2014 में सपा और बसपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. पिछले चुनाव में सपा-बसपा का 41.8 फीसदी और बीजेपी-अपना दल गठबंधन का वोट शेयर 43.3 फीसदी था.

साल 2018 में गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में हुए उपचुनाव में महागठबंधन को जीत मिली थी. जिसके बाद वोट शेयर के हिसाब से अनुमान लगाया गया था कि बीजेपी 73 से 37 सीटों पर सिमट जाएगी.

हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 2014 की तुलना में केवल नौ सीटों का घाटा हुआ. बीजेपी ने 2014 की तुलना में इस बार 7.2 फीसदी वोट बढ़ाने में कामयाब रही.


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