वेलेंटाइन डे: जापानी महिलाएं नहीं देना चाहतीं पुरुषों को चॉकलेट


why japanese women rebel against valentines day but still buy chocolate

 

वेलेंटाइन डे पर जापान में कामकाजी महिलाओं ने अपने पुरुष साथियों को चॉकलेट देने की दशकों पुरानी परंपरा के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. जापान में इस दिन कार्यस्थलों पर महिलाओं को अपने पुरुष साथियों को चॉकलेट देना अनिवार्य होता है.

जापान में वेलेंटाइन डे साल 1958 से मनाया जा रहा है. इसी साल इस परंपरा की शुरुआत जापान की एक चॉकलेट कंपनी मैरी चॉकलेट ने एक अभियान के जरिए की थी. साल 1980 के दशक में में चॉकलेट कंपनियों ने इस परंपरा को और आगे बढ़ाया. तब पुरुषों के लिए 14 मार्च का दिन वाइट डे (White Day) के रूप में मनाए जाने की शुरुआत हुई. इस दिन पुरुषों ने वेलेंटाइन डे पर मिली चॉकलेटों के बदले महिलाओं को चॉकलेट देना शुरू किया. इस तरह जापान में चॉकलेट कंपनियों के कारोबार में बहुत तेज इजाफा हुआ.

लेकिन हाल में जापान में हुआ एक सर्वेक्षण बता रहा है कि अब वेलेंटाइन डे पर 60 फीसदी महिलाएं पुरुषों को चॉकलेट देने के बजाय अपने लिए ही चॉकलेट खरीद रही हैं. केवल 35 फीसदी महिलाएं ऐसी थीं जिन्होंने अपने पुरुष साथियों को देने के लिए चॉकलेट खरीदी. यानी उन्होंने धीरे-धीरे इस परंपरा को चुनौती देना शुरू कर दिया है.

बीते दिनों जापान के टोक्यो में रिवोल्यूशनरी एलाइंस ऑफ अनपॉपुलर पीपुल (आरएयूपी) संगठन ने इस परंपरा और ‘रोमांटिक कैपिटलिज्म’ के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज किया. संगठन का यह भी कहना था कि वर्कप्लेस में किसी की भी योग्यता इस बात से तय नहीं हो सकती कि उसे कितनी चॉकलेट मिली हैं. जिन्हें चॉकलेट नहीं मिलती, उनमें हीनभावना फैलती है.

चॉकलेट कंपनियों ने इस पितृसत्तात्मक परंपरा के जरिए किस कदर अपने कारोबार का विस्तार किया है, इसका पता नागोया इंटरनेशनल सेंटर के निष्कर्ष से चलता है. सेंटर के अनुसार, जापान में चॉकलेट की कुल सालाना बिक्री की एक चौथाई बिक्री वेलेंटाइन डे के दिन ही होती है.

हालांकि जापान में महिलाओं के एक हिस्से में इस परंपरा के विरोध के चलते चॉकलेट कंपनियों ने भी इस परंपरा से किनारा कर लिया है. कार्यस्थलों पर इस परंपरा से उन पुरुषों की मानसिकता पर भी नकारात्मक असर पड़ा है, जिन्हें चॉकलेट नहीं मिली है.


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