भारत गांधी के साथ करेगा ‘वेनिस बिनाले’ में वापसी
महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के लिए हरिपुरा में पंडाल सजाने की जिम्मेदारी प्रतिष्ठित कलाकार नंदलाल बोस को दी थी. बोस ने लोगों के दैनिक जीवन और ग्रामीण परिदृश्य से ली गई चीजों के आधार पर 16 पोस्टर तैयार किए थे. इन पोस्टरों को स्थानीय चीजों जैसे हाथ से बने कागज और प्राकृतिक रंगों से बनाया गया था.
उन पोस्टरों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांधी और नंदलाल बोस के बीच का रिश्ता इतना गहरा था कि बोस ने गांधी की सोच को हू-ब-हू उकेर दिया था.
11 मई से नंदलाल बोस की बनाई हुई ये कलाकृतियां विश्व के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित आर्ट इवेंट ‘वेनिस बिनाले’ में प्रदर्शित होंगी.
भारत के लिए यह इवेंट दो कारणों से बेहद खास है. पहला, भारत इस इवेंट के 116 वर्षों के इतिहास में दूसरी बार भाग ले रहा है. दूसरा, इस इवेंट के विषय “आवर टाइम फॉर ए फ्यूचर केयरिंग”के तहत भारत कला के माध्यम से समकालीन दुनिया में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता पर रोशनी डालेगा.
भारत की ओर से इवेंट में आठ कलाकारों को शामिल किया गया है. इनमें स्व. नंदलाल बोस, स्व. एमएफ हुसैन, जितिश कल्लत, अतुल दोदिया जैसे बड़े कलाकारों के नाम शामिल हैं.
ये वे कलाकार हैं जिनका कला कर्म लंबे समय तक गांधी पर आधारित रहा है. भारत ने इस कार्यक्रम में पहली बार साल 2011 में हिस्सा लिया था. इसके बाद के वर्षों में भारत इस कला कार्यक्रम से नदारद रहा.
इस बार भारत का इस आर्ट इवेंट में शामिल होना काफी महत्वपूर्ण है. यह मंच कला-संस्कृति के माध्यम से उदार कूटनीति का अवसर भी देता है.
भारत की ओर से किरण नादर कला संग्रहालय के सहयोग से इस इवेंट का आयोजन केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने किया है.
भारत का इसमें भाग लेना 6 से 8 महीने पहले ही तय हुआ था, इसलिए कार्यक्रम में कोई नया काम प्रदर्शित नहीं किया जाएगा.
सीआईआई के अध्यक्ष नादर और तराना साहनी ने बताया कि किसी भी काम में गांधी के जीवन की झलक सीधे-सीधे दिखाई नहीं देगी. उन्होंने कहा कि आप गांधी का प्रभाव कलाकारों की प्रस्तुति में देख सकते हैं.
58वां वेनिस बिनाले कला कार्यक्रम 24 नवंबर 2019 को समाप्त होगा.