स्त्री-पुरुष समानता में भारत का 108वां स्थान: रिपोर्ट
विश्व में पूरी तरह लिंग भेद खत्म होने में करीब 202 साल लग जाएंगे. यह बात वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2018 में सामने आई है.
महिलाएं लंबे समय से कार्यस्थल पर समान व्यवहार और वेतन की मांग कर रही हैं. लेकिन स्त्री-पुरुष के बीच समानता आने में अभी कम से कम दो सदियां लग जाएंगी.
डब्ल्यूईएफ की रिपोर्ट मुताबिक 2017 के मुकाबले इस साल वेतन समानता के मोर्चे पर कुछ सुधार हुआ है.
लेकिन राजनीति में महिलाओं का घटता प्रतिनिधित्व और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में असामनता के चलते यह सुधार धूमिल हो गए हैं.
डब्ल्यूईएफ ने पाया कि मौजूदा समय में जिस तेजी से सुधार किए जा रहे हैं उस हिसाब से दुनिया भर के सभी क्षेत्रों में मौजूद स्त्री-पुरुष असमानता अगले 108 साल में दूर नहीं हो पाएगी. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कार्यस्थल पर असमानता को खत्म करने में अभी 202 साल का समय लग जाएगा.
डब्ल्यूईएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में 149 देशों में स्त्री-पुरुष के बीच चार क्षेत्रों में मौजूद असमानताओं का जिक्र किया है. ये क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसर और राजनीतिक सशक्तिकरण हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक बीते कुछ साल से शिक्षा, स्वास्थ्य और राजनीतिक भागीदारी में सुधार देखा जा रहा था लेकिन इस साल इन तीनों क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में गिरावट रही.
आर्थिक अवसरों का क्षेत्र बेहतर रहा जहां असमानता खत्म करने के लिए कुछ प्रयास किए गए थे. वैश्विक स्तर पर साल भर में वेतन अंतर में मामूली कमी देखी गई. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल वेतन अंतर 51 प्रतिशत रहा.
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर नेतृत्व की भूमिका में महिलाओं की संख्या बढ़कर 34 प्रतिशत हो गई है.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पश्चिमी यूरोपीय देश स्त्री-पुरुष असमानता को 61 साल में पाट लेंगे. जबकि पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीकी देशों को इसमें 153 साल लग जाएंगे.
पिछले दस साल से स्त्री-पुरुष समानता में बेहतर प्रदर्शन कर रहा आइसलैंड इस बार भी टॉप पर रहा. उसके बाद नोर्वे, स्वीडन और फिनलैंड रहे.
स्त्री-पुरुष समानता में भारत 108वें स्थान पर रहा. दक्षिणी एशियाई देशों में सबसे बेहतर प्रदर्शन बांग्लादेश ने किया, जो रैंकिंग में 48वें स्थान पर रहा. इसके अलावा 100वें और 105वें स्थान पर श्रीलंका और नेपाल भी भारत से आगे रहे. सर्वे में सीरिया, इराक, पाकिस्तान और अंत में यमन सबसे नीचे रहा.